ओम पेशे से डॉक्टर था। उसकी लाइफ में यूं तो किसी चीज की कमी नही रही। जैसे ही अपने काम से ओम को फुर्सत मिलती तो वह अपनी पत्नी और दो बेटियों और एक बेटे के साथ हिल स्टेशन पर छुट्टियां मनाने चले जातें। समय की गाड़ी तेज रफ्तार से भाग रही थी। बच्चे भी डॉक्टर बन विदेश में बस चुके थे।ओम और उनकी पत्नी उम्र के इस मुकाम पर तन्हा रह गए थे अब करने को भी ज्यादा कुछ था नही। बच्चों की जिमेद्दारियों से मुक्त हो चुके थे। समय के कालचक्र ने ऐसा खेल रचा। उनकी पत्नी जटिल बीमारी की गिरफ्त में आ गयी थी। ओम अपनी पत्नी को अच्छे से अच्छे डॉक्टर से दिखाया पर कोई सुधार नही हो रहा था। उन दिनों ओम मानसिक अवसाद से गुजर रहे थे। तकरीबन एक साल बाद उनकी पत्नी का देहांत हो गया।
ओम की जिंदगी पत्नी के जाने के बाद पूरी तरह अस्त -व्यस्त हो गयी थी। जब ओम घर आते तो घर की तन्हाई उन्हें काटने को दौड़ती। नौकर टेबल पर खाना रख जाता पर वह खाना यूँ ही पड़ा -पड़ा ठंढा हो जाता। ओम ने अपनी पत्नी के जाने के बाद अपने आप को बहुत दिनों तक अँधेरे कमरे में बन्द कर लिया। एक दिन उसके एक करीबी दोस्त ने आकर बहुत समझाया की इस तरह जिंदगी नही चल सकती है। तुम इन सब चीजों से ध्यान हटाने के लिए अपने काम पर ध्यान दो। धीरे -धीरे समय के साथ जख्म भर जायेंगे।
थोड़े दिनों बाद ओम अपने क्लिनिक पर मरीजों का इलाज करने लगे। वह ज्यादा से ज्यादा समय अपने क्लिनिक में ही व्यतीत करते थे। पहले जिस ओम के चेहरे से हँसी गायब नही होती थी ,अब शायद ही कभी मुस्कुराहट भी उनके चेहरे पर नही आ पाती। वह अब अक्सर देर रात गए पैदल घर लौटते। अब उनकी कार घर में ही पड़ी रहती। ओम रोजाना एक पुल के रास्ते से गुजरते थे। उस पुल के रास्ते से गुजरते वक्त ओम को अजीब सी आवाजें सुनाई पड़ती पर ओम बिना ध्यान दिए अपनी घर की ओर चल देते। कई रात उन्हें लौटते वक्त ऐसा लगा कोई शख्स उनका पीछा कर रहा है। ओम अंदर ही अंदर चिंतित थे वह कौन हो सकता है ?
एक रात जब ओम पुल के रास्ते से गुजर रहे थे तो किसी ने पीछे से उनके कन्धे पर हाथ रखा। जब ओम ने पलटकर देखा तो कोई नही था। उस दिन ओम पसीने से तर -बतर घर की ओर भागे। उस रात उन्हें नींद नही आ रही थी। किसी तरह अपने को सुबह सम्भाल कर क्लिनिक गए। उस रात भी घर लौटने में देर हो गयी। अचानक उन्हें पुल के रास्ते से गुजरते वक्त कानो में अपनी पत्नी की मधुर ध्वनि सुनाई पड़ी। ओम इतनी रात गए आना इस रास्ते से आना खतरे से खाली नही है। ओम अभी कुछ सोचता की उसके सामने एक घना कोहरा छा गया। उसे कुछ दिखाई नही दे रहा था। अचानक उसके कानो में दोबारा पत्नी की आवाज गूँजी। ओम आप नीचे देखो ये क्या करने जा रहे हो। ओम ने नीचे देखा वह पुल के किनारे आ कर नदी में छलांग लगाने जा रहा था। ओम के होश उड़ गए और वह घर भागा। वह घर आकर सोचता रहा मेरी पत्नी की आत्मा ने आकर मुझे सचेत कर दिया। आज मर कर भी मेरे आस -पास है।
अगली सुबह ओम ने उस पुल के रास्ते की सच्चाई स्थानीय लोगों से पता की तो लोगों ने बताया की इस पुल पर एक बस पलट गयी थी। जिसके सारे यात्रियों की बहुत ही दर्दनाक मौत हुई थी। तब से कई लोग इस तरह की घटना के शिकार हो अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। वो आत्माएं इस रास्ते पर शिकार की तलाश में भटकतीं रहती हैं। ओम ने उस दिन के बाद से उस रास्ते से आना छोड़ दिया।
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