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DIWANGI – PART – VIII

Published by Durga Prasad in category Hindi | Hindi Story | Suspense and Thriller with tag magic | woman

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Hindi Story – DIWANGI – PART – VIII
Photo credit: kseriphyn from morguefile.com

मुझे जो पता चला कि जैसे – जैसे शाम ढलती है और रात का शुरुर शुरू होता है वह वैसे – वैसे क्रूर से क्रूरतर होते जाती है | वह अपने शिकार के लिए बेचैन हो उठती है | काबू से बाहर होने लगती है | उसके हाव – भाव और सामान्य व्यवहार में भी शनैः – शनैः परिवर्तन होने लगते हैं | रात नौ बजे अपने शयन – कक्ष में अकेली रहती है | सिर्फ व सिर्फ घोसाल बाबू को जाने की इजाजत रहती है | उस वक्त डिनर लेती है | डिनर में भी क्या लेती है , कुक और घोसाल बाबू के सिवाय कोई नहीं जानता | टीवी ऑन रहता है और कोई होरर फिल्म देखती है खाने के वक्त | हो सकता है आज आपके साथ ही डिनर ले | आज दुसरी फिल्म देखे |

पता लगाना कि कौन सी फिल्म देखती है , तो मुझे असलियत जानने में मदद मिलेगी |
यह काम मुझसे नहीं हो सकता |
क्यों ?

इसलिए कि हम पर शक हो सकता है कि क्या वजह कि ऐसी अनर्गल बातें जानने की कोशिश करता हूँ जिससे हमारा कोई भी किसी तरह का ताल्लुक ही न हो | शक रत्ती भर भी हुयी और मैडम के कानों तक पहुँची तो एक मिनट में खलाश , बचाव का भी मौका नहीं दिया जाएगा
|
मेरी समझ में एक ही उपाय है कि सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे | इसके सिवाय कोई विकल्प मुझे नहीं सूझता |
स्पष्ट करो |

कोई न कोई बहाना बनाकर नौ के पहले ही नौ दो ग्यारह | न रहे बाँस न बजे बांसुरी |

लेकिन इससे शक को और हवा मिलेगी और जो अटूट विश्वास जम गया है वो भी प्रभावित हो सकता है | वह महिला अत्यंत चतुर और चालाक है | वह एक सामान्य प्राणी नहीं है | हो सकता है कोई व्यक्ति हमारे मूवमेंट पर नज़र रखे हुए है कि हम किसी भी सूरत में भाग न पाए |

शिकार कब और कहाँ करती है , यह मालुम किये हो ?
हाँ | वह उसी अतिथि कक्ष में जहाँ उसका शिकार सोया रहता है और बात रही वक्त की तो वह मध्य रात्रि के बाद ही एटैक करती है |
वो कैसे ?

मैं अनजान हूँ इस बात से , मैं बता नहीं सकता , लेकिन अंदाज से कह सकता हूँ कि वह आती होगी और कोई न कोई बहाना बनाकार दरवाजा खुलवाती होगी |
एक काम हम कर सकते हैं कि दरवाजा ही न खोले , भीतर से बंद कर दे अच्छी तरह कि अंदर ही न आ सके |
आप ऐसा नहीं कर सकते |

क्यों ? कोई वजह ?

मध्यरात्रि के पश्च्यात विषय – वासना बलवती हो जाती है , चाहे वह पुरुष हो या नारी | आप एक ही आवाज सुनकर उठ जायेंगे और बिना किसी शिकवा गीला के दरवाजा खोल देंगे |

ई तो तुम गजबे बोल रहे हो जैसे भोगा हुआ यथार्थ हो , वैसी बात कर रहे हो |
वही समझिये | जो मेरी समझ में बात आई , आपको बता दी – जस का तस | डिनर तो लेंगे ही मैडम के साथ , उसी वक्त आपको वशीभूत कर लेगी , जो बोलेगी वही फोलो करेंगे |
वो कैसे ?

वह वशीकरण मन्त्र में भी पारंगत है | जादू – टोना में माहिर | काला जादू में भी महारत हासिल है | ज्यादा विरोध या उछल – कूद करेंगे तो वह वाध्य होकर अपना अमोघ अस्त्र – शस्त्र का प्रयोग करने से भी नहीं चुकेगी |
वो क्या होता है ?

आपको मिनटों में भेड़ बना सकती है और गोहाल घर में बाँध कर रख सकती है |
फिर ?
फिर क्या , जब रात अपनी युवावस्था में प्रवेश करती है तो आपको बलि- वेदी पर ले आयेगी |

बलि – वेदी ?
अर्थात अपने अतिथि – गृह के उसी शयन कक्ष में जहाँ जनाब आराम फरमा रहे है याने हम बातें कर रहे हैं | और जो मुझे पता चला है कि यदि आप गंभीर निंद्रा में सो गए या जान बूझकर दरवाजा नहीं खोल रहे हैं तो भी उनके पास आप तक पहुँचने के लिए कई चोर रास्ते की व्यवस्था कर के रखी हुयी है |
याने ?

पीछे से , नीचे से … और न जाने … ?
जैसा मैंने सुना है कि आजतक वह कभी भी अपने शिकार तक पहुँचने में नाकामयाब नहीं हुई है | बन के गीदड़ , जहिंये किधर – इस बात से वह भली – भांति अवगत है |
मैं देह बाँधने जानता हूँ | वह मुझे छू नहीं सकती |
वो कैसे और क्यों ?

मैं भी अनेको भूत – प्रेत का संगत किया है | जादू – टोना सीखा है , लेकिन भेड़ बनानेवाला मंत्र – तंत्र तो आसाम की महिलायें , जो श्मशान में रहकर रात – रात भर साधना करती है किसी औघड़ बाबा की देख – रेख में वही किसी इंसान को भेड़ बना सकती है |
हो सकता है वह इस विद्या को सीखी हो और पारंगत भी हो |
लेकिन जो बात उसने बताई कि वह गूंगी पैदा हुई थी यहीं कहीं किसी गाँव में कलकता के आस – पास |
सब झूठा , मिथ्या |
वह आसामिया है और गुहाटी के पास किसी कसबे में जन्म ली भली – चंगी | उसके पिताजी गुहाटी के कोर्ट – कचहरी में पेशकार थे |

फिर यह कैसे कलकत्ता पहुँची ? कैसे इतनी दौलतमंद हो गई ?
नंदू ! मुझे सबकुछ रहस्यमय प्रतीत होता है | कैसे रहस्य से पर्दा उठेगा , मेरे लिए यह एक बड़ी समस्या ही नहीं अपितु चुनौती भी है |
हाँ , सो तो है | आपने तो बड़ी से बड़ी समस्याओं का निदान ढूँढने में सफलता हासिल की है फिर यह भी … ?

यह जटिलतम समस्या है मेरे लिए | मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि इतनी भोली – भाली संभ्रांत महिला ऐसा कुकर्म कर सकती है |

“स्त्री चरित्रं , पुरुषस्य भाग्यं , देवो न जानाति” – आपने नहीं पढ़ा , इसीलिये आप ऐसी बात कर रहे हैं | नारी के चरित्र को ईश्वर भी नहीं समझ सकते , तो आप किस खेत के मूली हैं | एक क्लू मिला है , लेकिन अभी नहीं चाय – पानी लेने के बाद शाम को … ?

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(COntd. To Part – IX)

  • लेखक: दुर्गा प्रसाद | दिनांक: ३० अगस्त २०१६ |

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