नंदू ! मुझे अपने आप पर भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैडम – इतनी सुशिक्षित , इतनी विनम्र , इतनी निच्छल , निष्कपट , निर्मल , मधुर , कोमल ऐसी नीच काम को अंजाम दे सकती है |
आप पर काले जादू का साया है | आपको हिप्टोनाईज कर दी है , आप अब जो भी बोलेंगे , करेंगे सब उनके फेवर में ही … अब आप की आँखों ही नहीं अपितु आपके दिलोदिमाग पर असर कर गया है उसके जादू का |
देखो ! नंदू ! हटात बिना किसी प्रमाण के किसी व्यक्ति के बारे में गलत धारणा नहीं बना लेना चाहिए |
आप तो बस उन्हीं की तरफदारी करेंगे | आप पर रंग चढ़ गया है | आप अपना मत नहीं बदल सकते हैं | ऐसा जादू कर दिया है आपके ऊपर |
पान का बीडा खाने में मजा आता था न ! अब सब मजा रफू चक्कर हो जाएगा जब धावा बोलेगी रात के घने अंधरे में , चीख तक किसी को सुनाई नहीं देगी , सुबह होते ही , पौ फटने से पहले ही खलाश ! कहानी खत्म ! सदा – सर्वदा के लिए |
जितनी कहानी अधूरी पड़ी है , अधूरी रह जायेगी | मैं भी न घर का , न घाट का रहूँगा | आपके साथ तो मेरी रोजी – रोटी जुडी हुयी है , इसलिए आपको आगाह कर देता हूँ कि वक्त रहते उड़न छू हो जाईये | जान है तो जहान है | समझने की कोशिश कीजिये |
हाँ , एक तोड़ है | लेकिन असंभव प्रतीत होता है |
वो क्या ?
उसे रात भर कहानी रहस्य और रोमांच से भरी हुयी और रात भर जगा कर रखें तो आपका वह बाल भी बांका नहीं कर सकती लेकिन … ?
लेकिन क्या ?
जहाँ नींद की आगोश में गई तो समझिए … ?
क्या समझूं ?
तो समझिए फिर एक सेकेण्ड की भी देर नहीं , वह पिशाचिनी बन जायेगी और तब आपकी सब हेकड़ी गुम | आप असहाय प्राणी की तरह सरेंडर कर देंगे | उसके बाद दुर्गति ही दुर्गति , कैसे मारेगी तड़पा – तड़पाकर , आपको पहले ही बता चुका हूँ |
मैंने प्रेतात्मा की हजारों कथा – कहानियाँ सुनी है , पढ़ी है | यह साधना तो मेरी पूर्ण हो चुकी है कामरू – कामख्या में औघड बाबा की सागिर्दी में | मैं जब देही बांधकर , घेरा बनाकर बैठ जाता हूँ और मंत्र के द्वारा किसी प्रेतामा को आहावन करता हूँ तो मुझमे हज़ार हाथी का बल व बुद्धि समाहित हो जाती है | मैंने भुत – प्रेत के सैकड़ों केस सुलझाए हैं और समीप से उन्हें देखा – परखा है , बात चीत भी की है |
सामान्य आदमी को भुत – प्रेत दिखाई नहीं देता , लेकिन मेरी पारखी नजरों से कोई भी छुप नहीं सकता | दिव्य शक्ति से मैं बुला भी सकता हूँ , आदेश भी दे सकता हूँ , बाँध भी सकता हूँ , नष्ट भी कर सकता हूँ और किसी व्यक्ति में बदले की भावना या किसी कार्य – संपादन हेतु सवार भी हो जाय तो उसे भगा सकता हूँ यहाँ तक कि बोतल में बंद करके समुद्र में फेंकवा सकता हूँ |
ये बातें तो आपके मुँह से मैं आज सुन रहा हूँ जबकि आप के साथ रहते हुए मुझे तेरह वर्ष हो गए |
मैं तुन्हें बताना नहीं चाहता था , किसी न किसी बहाने निकल जाता था | ये सब बातें कमजोर दिलवालों के लिए नुकसानदेह है | रात को सपनाने लगते हैं लोग | भू… ! भू… ! करके विछावन से अचानक उठकर चिल्लाने लगते हैं , इसलिए मैं किसी को भी भनक तक लगने नहीं देता , यहाँ तक की इसके बारे तुम्हारी चाची को भी | राज को राज ही रहने में मेरी और सब की भलाई है |
अब तो उम्र भी हो गया है | इसलिए इन पारादैविक बातों से अपने को कोसों दूर ही रखता हूँ | समय भगवत – भजन – कीर्तन में ही व्यतीत करता हूँ और करना भी चाहिए , तो नित्यप्रति करता हूँ | तुम तो देखते ही हो , सबूत पेश करने की जरूरत नहीं है |
दुसरी रही कहानी सुनाने की रहस्य – रोमांच की , एक रात क्या मैं महीनों भर – रात दिन बिना रुके सूना सकता हूँ |
इस कला में भी आप निपुण हैं मुझे आज पता चला |
अभी तुमको बहुत कुछ पता चलेगा :
इब्तदाये इश्क में होता है क्या ,
आगे – आगे देखिये होता है क्या |
नंदू ! समस्या यह है कि मुझे विशुद्ध तन – मन से पुनः साधना में बैठना होगा | खैर कोई बात नहीं , मन पवित्र और ध्येय सही हो तो उद्देश्य की पूर्ति निःसंदेह होती है | मंजिल तक पहुँचा जा सकता है |
अब मेरे हाथ एक क्लू मिला है और हो सकता है हमें कहीं डरपोक की तरह मैदान छोड़कर भागना न पड़े |
वो कैसे ?
मेरे पास एक नहीं तीन – तीन अश्त्र – शस्त्र हो गए हैं | तुम निश्चिन्त रहना , मेरे को कुछ नहीं होगा |
वो तीन अश्त्र – शस्त्र क्या है मैं भी सुनूं और आश्वश्त हो जाऊँ कि आपका कुछ भी नहीं होगा , साबुत जिन्दा इस मायाबी औरत के मौत के कुएं से निकल पायेंगे |
डिनर के बाद दो – तीन फिल्म देखनी है , एक तो पहले से फिक्स है “बाजीराव मस्तानी” और उसके बाद “इंटर दी ड्रेगन” फिर “फिस्ट ऑफ फरी” |
उसने बातों ही बातों में व्यक्त की थी कि वह “ब्रुस ली” की फिल्म देखना बहुत पसंद करती है | और उसके बाद भी एक ऐसी होरर फिल्म है कि जिसे शुरू कर दूँ तो देखनेवालों की पलकें तक नहीं बंद होगी , खुली की खुली रह जायेगी घंटों |
कौन सी फिल्म है यह , क्या मैं जान सकता हूँ ?
कभी नहीं |
इसका नाम तक बताना अनैतिक है , देखना कितना अनैतिक होगा , सोच सकते हो ?
मैंने इसे सेक्रेट साईट में सेव करके रखा है , सेक्रेट पासवर्ड है , कोई खोल भी नहीं सकता , देखने की बात तो स्वप्न सदृश्य है | यह सिर्फ व सिर्फ विषम परिस्थिति में ही दिखाई जाती है |
मैंने इसे अपने एक मित्र के साथ पहली वार देखा तो महीनों – सालों भर दिलोदिमाग पर असर बना रहा , निकाल नहीं सका , फिल्म देखने के बाद एक तरह से कसम खाली कि इस फिल्म को कभी नहीं देखूंगा और आजतक न देखा , न किसी को दिखाया |
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(Contd. To Part XI…)
लेखक : दुर्गा प्रसाद , दिनांक : १ सेप्टेम्बर २०१६ , दिन : शुक्रवार |