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Mai Pass Ho Gaya

Published by Madhaw in category Poetry with tag Funny | high school | hilarious

A Hindi Poem – Mai Pass Ho Gaya

A Hindi Poem

A Hindi Poem – Mai Pass Ho Gaya

मैं देर तक बैठा था

उसी नुक्कड़ पर

बुढ़िया की उसी

चाय की दुकान पर

लोग आते थे

हाल-ए-तबीयत पूछते थे

अनमने मन से

मैं कह देता “ठीक हूं”

पर कौन बताए कम्बख़्त

इन दुनियादारीवाले शहर को

अपना तो हाल बेहाल था

ज़िंदगी का ये सबसे बुरा साल था

 

एक तरफ बुढ़िया की

चाय उबल रही थी

दूसरी तरफ मेरे दिल के

मकान में आग लगी थी

दुनियादारी के सवाल

आग को भड़का रहे थे

और हमें जिनका

बेसब्री से इंतज़ार था

वो कम्बख़्त

नज़र ही नहीं आ रहे थे

 

अब हमसे रहा नहीं जा रहा था

अब बुढ़िया की बेंच पर

तसरीफ़ भी नहीं टिक पा रहा था

बेचैनी का वो आलम था कि

हम ग्लास खाली किए जा रहे थे

और बुढ़िया ग्लास भरे जा रही थी

लेकिन जिनका इंतज़ार था

न वो आ रहे थे

न उनकी ख़बर आ रही थी

 

हर राहगीर का चेहरा

एक प्रश्न चिन्ह लग रहा था

मैं परेशां हो रहा था

और वो मेरी बेबसी पर

हसंता ही जा रहा था

अब तो बुढ़िया भी

परेशान होने लगी थी

दूधवाली चाय की जगह

काली चाय देने लगी थी

 

इंतज़ार के इस मैराथन दौर में

बुढ़िया की चाय ही

एक सम्भल थी

उसी ने धड़कनों को

संभाल रखा था

उसी ने अश्कों को

थाम रखा था

बस एक ही अरमान

ख़यालातों में था

बस एक ही तस्वीर का टुकड़ा

दिल में बचा रखा था

 

गरम चाय हाथों में थी

लबों से चिपककर

ज़मीं पर गिरने लगी थी

वक़्त का हर एक लम्हा

रुक-रुककर चलने लगा था

वो जो सामने से आती दिखी

फ़िज़ा की हर तस्वीर

बदलने लगी थी

 

वो क़रीब आ रही थी

मैं घबरा रहा था

फ़ासले कम हो रहे थे

इंतज़ार ख़त्म हो रहा था

पर अब न जाने क्यों

सब कुछ थमा-थमा सा

लग रहा था

 

अब सवाल

दुनियावालों के नहीं थे

अब सवाल

अपने ज़हन से आ रहा था

कैसे करूंगा उसका सामना?

यही सोच-सोच

घबरा रहा था

 

अब वो क़रीब आ गई थी

वो मेरे आंखों के सामने थी

बुढ़िया भी उसे

अपनी फटी आंखों से

निहारे जा रही थी

उसने बताया

तुम पास हो गए हो

इस इम्तहान में

तुम प्रथम आ गए हो

 

अब खुशी का ठिकाना नहीं रहा

मैं पागल हो गया

दीवाना हो गया

पास होने के खयालों में

मैं दुनिया से बेगाना हो गया

इस बार बुढ़िया आई

अब चाय की ग्लास नहीं

उसके हाथों में थी

खोये की पेड़ेवाली मिठाई

 

मैं झूम उठा

हाथों में उसे ले

नुक्कड़ पर ही

नाच उठा

मैंने उसे थामा

साइकिल के पैडल पर पैर मारा

और घर पहुंचकर ही

अपनी तसरीफ को साइकिल से उतारा

 

मेरे हाथों में खुशियों की सौगात थी

और अब दरवाज़े पर मां थी

उसने देखा और पूछा क्या हुआ

मैंने उसकी हलकी सी झलक दिखाई

और बोला

देख मां इस अख़बार में ख़बर आई है

मेरे लिए मेरी तक़दीर लाई है

तेरी दुआओं में विश्वास आ गया

मां तेरा बेटा हाई स्कूल में पास हो गया

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