This is an autobiography of a spectacles that how it becomes indispensable in our lives.This poem,at the same time gives a message to the children that how they can avoid specks by eating products containing vitamin A and by avoiding excessive TV watching and compute-ring. The inspiration to write this poem came to me when I saw that these days the very small children are wearing specks and the parents are feeling helpless. In this age of electronic gadgets, TV ,computer. Children are found most of the time playing computer games or watching their favourite programme on TV. I sincerely hope that children will strike a balance in their indoor and outdoor activities to save the most precious gift of GOD i.e. their eyes from becoming week so that specks is not required at that early age.
चश्मे की आत्म कथा
मेरा नाम है चश्मा ,
मैं हूँ कुदरत का अनमोल करिश्मा ।
बिन मेरे लाखों लोग है आंखे होते हुये भी अन्धे,
मैं जो टूट जाऊँ तो बंद हो जाते है इनके काम धंधे।
मेरे चढ़ते ही बदल जाती है इन्सान की शक्ल ,
लगने लगता है वो intelligent और पढ़ने मे अव्वल ।
कुछ लोगों को तो वंशानुगत हूँ मै भाता,
बिन मेरे जीवन नहीं उनको रास आता ।
एक बार जो चढा ले मुझ को , पा नहीं सकता है वो मुझसे छुटकारा ,
मेरे ही सहारे कटेगा जीवन उसका सारा।
दूर का , पास का , bifocal और progressive है मेरे अनेक रूप ,
Sunglasses लगा लो जब तुम्हें लगती हो तेज धूप ।
बारिश मे भी मै हूं एक झंझट ,
मुझे लगा कर नहीं चला सकते स्कूटर फटाफट ।
मुझको पहन कर फोटो खिचाने मे पड़ता है reflection,
चश्मा लगाने वालों को अक्सर रहती है यही tension.
मुझे पहन कर sports खेलने मे होती है बहुत दिक्कत ,
लेकिन क्या करे यह तो है चश्मे की हकीकत।
AC car से तुम निकलते हो जब बाहर, छा जाती है मुझ पर vapour,
सबसे पहले तुम करते हो मुझे clean क्योंकि मुझ मे नहीं लगा है wiper.
जब कभी मुझ पर जम जाती है dust,
तब तुम्हें देखने मे होता है बहुत कष्ट ।
मेरे अंदर है कुछ qualities बड़ी technical,
कुछ को चाहिए spherical और कुछ को भाता मैं cylindrical.
मेरे भी है अनेक नंबर, जैसे एक , दो , तीन , चार , पाँच ,
डॉक्टर ही निर्धारित करता है करके पूरी जांच ।
जब उम्र हो जाती है, 40 के पार,
बिना मेरे तुम पढ़ नहीं सकते हो अखबार ।
Optician की दुकान पर, I am available in plenty,
जाकर देखो तो सही मेरी एक से एक stylish variety .
कहीं rimless कहीं गोल, कही rectangular हैं मेरी बनावट ,
ट्राइल कर कर के आजमा लो, फिर देखो चेहरे की सजावट।
एक से एक महंगे ब्रांड मे फैली है मेरी range,
देख कर चकित हो जाओगे , लगेगा तुम्हें strange.
मुझे पहनते उतारते बरतो तुम सावधानी ,
अन्यथा loose हो जाऊंगा , होगी तुम्हें ही परेशानी ।
मुझ को पहन कर न करना किसी से लड़ाई , भिड़ाई,
नहीं तो लेन्स टूटेगा और पता चला कमानी टूट कर हाथ मे आई ।
जब स्कूल में black बोर्ड पर नहीं दिखी मास्टर जी की लिखाई ,
जाकर तुरंत डॉक्टर के पास , आँखें अपनी check कराई ।
जांच पूरी कर डॉक्टर बोला , चश्मा चढ़ेगा, मेरे भाई ,
समझो उसी दिन से तुमने मेरे संग जीने की कसम है खाई ।
मुझे पहन कर कुछ बच्चे है शर्माते ,
हीन भावना से भी कुछ तो ग्रसित हो जाते।
आजकल तो टीवी और computer ने बढ़ा दी है मेरी demand,
इसीलिए तो बच्चों की आँख पार भी करता हूँ मैं command.
मुझ से बचना हो तो खाओ खूब विटामिन A वाले products मेरे यार ,
वरना मुझे पहनने के लिए हो जाओ तैयार ।
TV और computer पर अगर बैठे रहोगे सुबह से लेकर शाम,
तो समझो मुझे invitation दे रहे हो लिख कर अपना नाम । ।
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