1- कोई कहे रब है तू
कोई कहे रब है तू
कोई कहे डर है तू
कोई तुझ पे सिर झुकाय
कोई तेरा सिर झुकाय
कोई तुझे पूजे
कोई तुझे दुतकारे
कोई तुझसे ज़िंदगी जोड़े
कोई तुझ को तोड़े
हर रूप में तू पूजनीय
हर घड़ी सबकी धूप बनी
कभी हिम्मत की धार बनी
कभी कमज़ोर बनके तू हिम्मत बने
सच कहे तू सब है
सच सोचे तू सब है
ए इंसान अब तो तू इसकी कदर कर
एक बार तो तू जीते जी किसी मुर्दे की फिकर कर
2- निकले थे घर से एक आशियाँ बनाने को
निकले थे घर से एक आशियाँ बनाने को
मौजे चली थी कुछ कर गुज़रने की
ज़िंदगी की गाड़ी तो चंद लम्हो में पलटी
जिसको सुधारने में बिताया ज़माना हमने
मौजो से उभर कर
असलियत से मिलकर
समझा आशियाँ तो बनता है कुछ चंद लोगों का
एक जो कुछ भी कर गुज़रे
उसे पाने के लिए
और एक जो पैसो से कुछ भी करा .पाए
सच ही है की दौलत बेच ले ईमान सब का
ढूंदूँ फिर भी मेहनती इंसान मैं यहाँ
रब का भेजा एक नया पैमान मैं यहाँ
3- रुके वो दुश्मन झुके वो चोर
रुके वो दुश्मन
झुके वो चोर
है साहिल तो सफ़र भी है
है मंज़िल तो क्यूँ तू बेसबर है
है ऊँचाई तो गिरने का डर क्यूँ है
है जसबा तो मंज़िल में हमसफर क्यूँ ना है
जानता है तो जान एक बात तू अनमोल
रुके वो दुश्मन
झुके वो चोर
तूफ़ान को गले लगा अब तू
दर्द की गिनती को भूल जा तू
हँसी तेरा दामन है
हिम्मत तेरी ओर
रोके वो दुश्मन
झुके वो चोर
4- सौ नफ़रत से ऊँची एक दीवार है
सौ नफ़रत से ऊँची एक दीवार है
हर दुख को तोड़ती मुस्कान है
ए इंसान भजे जिस खुदा को तू
है दुख मुझ को उसको ही ना जान तू
हर नफ़रत से ऊँची मोहब्बत को अब तो पहचान तू
कहीं खून
कहीं आँसू
कभी रूह
तो कभी बाहों
की नफ़रत में झूलती है वो
मोहब्बत को कर अब तो मुक्कलत और खुद खुदा बन जा रे तू
हर नफ़रत से ऊँची मोहब्बत को अब तो पहचान तू
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