Collection of Poems in Hindi – AAJ KI ZINDAGI
AAJ KI ZINDAGI
वक़्त का पिचा करती ज़िन्दगी, एक पहेली सी बन जाती है!
वक़्त के रफ़्तार को पकड़ ने की बेबसी, अपने आप को खोने पे मजबूर हो जाता है!
हर लड़ाई जितने की कोशिश में, संभल ने के दो लम्हे निकलना नामुमकिन सा हो जाता है!
हर मुश्किल का हल निकलने में, खुद से सवाल करना भूल सा जाता है!
दुखो से झुझते झुझते, मासूम से ख़ुशी महसूस करने की शमता गवा जाता है!
आने वाले कल को सँभालने की जरुरत, आज की जरुरत को मात दे जाता है!
गुजरे हुए कल की पर्ची का खौफ, आज का दिया बुझा जाता है!
वक़्त और ख्वाहिश के भूल-भूलिए में इसे घिरे, इस से बिदाई की कोई भी गुज़ारिश नज़र अंदाज़ सा हो जाता है…!!!
Is Rishte ko Samjha
तेरी ख़ामोशी को हमने प्यार समझा…
तेरे साथ को हमने इकरार समझा…
समझा नाराज़गी से तुमने ह़क जताया…
और जूठ से तुमने रिश्ते का दार निभाया…
मासूमियत से हमने भरोसे को भरोसा दिलाया…
तुम्हे प्यार है ये खुद को यकींन दिलाया…
ऐयेने से इस रिश्ते में समझोते का पर्दा लगाया…
और हर तरह से इसे खूब सजाया…
लेकिन बदलते मौसम की तरह तक़दीर नहीं बदलती
जूठी सजावट से रिश्तो की हकीकत नहीं बदलती….
हार बार सचाई से पर्दा हटाने के लिए तूफ़ान की ज़रूरत नहीं होती…
क्यूंकि खोखले रिश्ते में कभी उम्मीद की कोई जगह नहीं होती…!!!
Panchtatva
ना देखा हमने वो प्यार,
या नहीं देखा हमने आँखों का इज़हार…
पहचाने थे हमने तुम्हारे आंसू,
बारिश भी जिसे छिपा ना पाई…
इज़हार में झुका दी थी पलके अपनी,
और इकरार भी ना कर पाई…
सोचा हमने पहले सनम है बेवफा,
पर ये कैसी बेवफाई, हमसे ज्यादा जुडी तुमसे तन्हाई…!!!
नाराज़ तो बोहोत थे हम आपसे,
पर ये कैसी रुसवाई…
देख कर तुम्हे , हमने नफरत पिघली…!!!
ना देखा हमने वो प्यार,
या नहीं देखा हमने आँखों का इज़हार…
बहार को न जाने किसने रोका था,
रुत बरखा की जो चाई…
ना मिलने के गुमने नजाने कहा खोया था,
के तुम्हारी आर्जो नज़र ना आई…
आब जो देखा तुम्हे… दिल से आह तक निकल ना पाई…
कैसे लाऊ तुम्हारे इंतज़ार के पालो को वापस,
ये मेरी समाज में ना ई…
ऐसे मोड़ पे है हम,
के तुम्हारे पास ना आब कोई राह आती…
कैसी गलती कर दी हमने,
की सजा तुमने भूकताई…
सनम बेवफा है कहके हमने ज़िन्दगी बितायी,
पर आब बताओ कैसी है ये बेवफाई….???
ना देखा हमने वो प्यार…
या नहीं देखा हमने आँखों का इज़हार…???
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Shloka P Ashar (SP)