चंद ग़ज़लें – Few Hindi Ghazals
दिल की बात – Few Hindi Ghazals
वो जो सामने बैठी है,
मेरे दिल का राज़ है !
उसके होठों से जो भी निकले,
वो मेरे दिल की आवाज़ है !
मैं कैसे कहूँ, चुप कैसे रहूँ,
वो मेरे टूटे दिल का साज़ है !
उसके चेहरे का पर्दा,
उसकी हया का राज़ है !
वो चुप सी बैठी है,
यह उसका रिवाज़ है !
मैं कैसे कहूँ, चुप कैसे रहूँ,
वो मेरे टूटे दिल का साज़ है !
उसके सर का घूंघट,
उसके सर का ताज है !
तुम गैर उसे बेशक समझो,
वो मेरा सरताज है!
मैं कैसे कहूँ, चुप कैसे रहूँ,
वो मेरे टूटे दिल का साज़ है !
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कसम – Few Hindi Ghazals
तुम कहती हो की खाओ कसम,
तुम्हें मुझसे प्यार है !
मेरे सर पे हाथ रख के कहो,
तुम्हें मुझसे प्यार है !
हाथ में अन्न है, जूठ न बोलना
तुम्हें मुझसे प्यार है !
उठाया है जल हाथ में, जूठ न बोलना
तुम्हें मुझसे प्यार है !
दुःख है, तुम्हें यकीं है कसम पर,
मुझ पर नहीं !
यकीं है तुम्हें हर चीज़ पर,
पर यकीं मुझपर नहीं!
समझो मुझे, इतना न खींचो कि,
टूट जाऊं मैं कहीं!
नासमझ, कैसे बताऊँ कि प्यार कि जुबान
होती ही नहीं!
आँख दिल कि जुबान होती है,
प्यार तो बेजुबान होती है !
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कुछ होना बाकि है अभी – Few Hindi Ghazals
बहुत कुछ होना बाकी है अभी,
सांसों में सांसें तो कब की घुल चुकी,
दिलों जाँ में समां जाना बाकी है अभी!
मैं जनता हूँ कि, तुम मुझसे बहुत दूर हो,
तुम्हें खिंच कर लाना बाकी है अभी!
अब तक सिर्फ खोता रहा हूँ मैं,
तुम्हें पाना बाकी है अभी!
क्या कहूं कुछ कहते ही नहीं बनता,
बहुत कुछ होना बाकी है अभी!
तुम डरा न करो इस बेरहम ज़मानें से,
जमानें कि हर रस्म उठाना बाकी है अभी!
तुम मुझे मिल जाओगी पूरा है यकीं,
गर न मिली तो फना हो जाना बाकी है अभी!
थोड़े आंसूं बचा के रखना ज़रूर,
मेरे ज़नाज़े पे तेरा रोना बाकी है अभी!
मैं कुछ वादा कर नहीं सकता ये दोस्त,
बहुत कुछ होना बाकि है अभी!
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