1. भ्रम
- (Journey , Dream world to Reality)
चाँद से खेलने कि जिद कि,
तो वो सामने तालाब में उतर आया;
आगे बढ़कर छुआ उसे,
तो मचलकर झुनझुनाया;
जो हक़ से थामना चाहा उसे,
तो हाथ भीगकर रह गए;
परे हटकर किनारे बैठे,
तो उसकी रोशनी कि कशिश में बह गए |
अँधेरी रात में पहले तो रोशनी लुभा रही थी,
पर जब सोना चाहा तो वही रोशनी सता रही थी;
खुद हि चलकर उसकी रोशनी के दायरे में चले जाते थे,
और जाने अनजाने ऐसे अपने आप को हि सताते थे|
इस मासूम सी खुशफहमी ने,
जल्द हि दिल को तोड़ दिया;
जब पूनम से अमावस तक,
चाँद ने बढ़ना छोड़ दिया|
अमावस को इस सच्चाई से रूबरू हुए;
कि चाँद का बढ़ना घटना, तो एक प्राकृतिक क्रम है;
वो मुझसे खेलने आता है, ये केवल मेरे मन का भ्रम है.
जो तालाब में दिखती है, वो केवल एक परछाई है;
उसकी दिव्य रोशनी, खुद में हि कहीं समाई है|
अब भी उस सुनहरे एहसास को
हरदम हम जी पाते हैं ;
पूनम हो या अमावस,
स्वयं कि आभा से, अपने जग को चमकाते हैं……….
2. Angel and Bird
-(एक छोटी सी लवस्टोरी )
एक थी चिड़िया पंखों वाली,
उड़ती फिरती थी डाली डाली,
दूर गगन में पर फैला के,
उड़ना चाहती थी मतवाली….
जब भी उड़ने कि कोशिश करती
फडफडा के गिर जाती थी
उठती थी फिर कोशिश करती
पर वो उड़ ना पाती थी………….
एक दिन जाने कहाँ से कोई,
एक फ़रिश्ता आया था,
उसने हि उस चिड़िया को
फिर उड़ना सिखलाया था…..
ऊँचे गगन में पर फैला के
उसके संग चिड़िया उड़ गयी
पेड़ डाली पत्ते बूटे
सब कुछ पिछे छोड़ गयी……
आसमान में बड़े परींदे देख
चिड़िया डर जाती
जाकर झट से फ़रिश्ते के
साये में वो छुप जाती……..
लड़कर बड़े परिन्दों से फिर
फ़रिश्ता उसे बचाता था
साथ ही उनसे लड़ना भी
वो ही उसे सिखाता था…..
दूर चिड़िया से उड़कर दिन में
वो दाना लाने जाता था
शाम को आकार बड़े प्यार से
फिर वो उसे खिलाता था…….
उड़ते उड़ते जब थक जाती
फिर से फ़रिश्ता आता था
अपने परों पर उसे बिठा के
दुनिया कि सैर करता था…….
ऐसे ही दिन बिताते जाते
वो कुछ खोते और कुछ पाते
साथ समय के दोनों मिलकर
ऊँची उड़ाने भरते जाते |
–सुचेता