This Hindi poem highlights the plea of a loving wife in which Her husband ignores Her at the time of intimacy due to Her non-alcoholic Character. But later She decided to consume the same so that she would fill the gap between them.
साक़िया या तो शराब ला …………. या मुझे गले से लगा ,
कल रात मेरे सितमगर ने फ़िर ………. मुझसे किया ग़िला ।
मैं ना बन सकी उसकी मय की बोतल ………. जो उसको नशा मैं दूँ ,
अपने मद भरे नैनों से पिला कर जो ……… उसकी तपन हरुँ ।
वो चाहता था कि सौंप दूँ सब उसको ………. जो भी वो कहे ,
मैं कहती थी कि अभी नहीं ………. ज़रा छिपने दे ये चाँद गगन तले ।
साक़िया या तो शराब ला …………. या मुझे गले से लगा ,
कल रात मेरे सितमगर ने फ़िर ………. मुझसे किया ग़िला ।
वो रूठा ऐसा तब मुझसे ………. कि जा बैठा फिर मयख़ाने में ,
मैं तकती रही राह तब उसकी ……… वो उलझा रहा अपने पैमाने में ।
सुबह की पहली किरण ने आकर फिर ………. मुझको निंदिया से जगाया ,
मैंने तब उसके सोते लबों से ………. वो पैमाना धीरे से हटाया ।
साक़िया या तो शराब ला …………. या मुझे गले से लगा ,
कल रात मेरे सितमगर ने फ़िर ………. मुझसे किया ग़िला ।
उसने कहा कि मैंने पी नहीं ………. इसलिए करती उसपर सितम ,
गर दो घूँट चखे होते मैंने भी ……… तो भर देती उसके प्यासे नयन ।
मैं सुन कर उसके कड़वे वचन ………. करने लगी मनमानी ,
वो पकड़ता जब भी मुझे कसके ………. मैं झटक देती उसको बन दीवानी ।
साक़िया या तो शराब ला …………. या मुझे गले से लगा ,
कल रात मेरे सितमगर ने फ़िर ………. मुझसे किया ग़िला ।
आज फिर से शाम अब ढलने लगी है ………. और मेरी उमंगें हो रही हैं जवाँ ,
अब या तो साकिया तू शराब ला ……… या मुझे अपने गले से लगा ।
आज खुद को मैं इस मय के रंग में ………. कर दूँगी इतना रंगीन ,
कि या तो वो मुझको पाएगा ………. या मय में डूब कर होगा संगीन ।
साक़िया या तो शराब ला …………. या मुझे गले से लगा ,
कल रात मेरे सितमगर ने फ़िर ………. मुझसे किया ग़िला ।
शुक्रिया साक़िया तेरी शराब का ………. जो मेरे अंग-अंग में वो अब समा रही है ,
उसके आने की बेताबी ……… धीरे-धीरे से और बढ़ती जा रही है ।
जी भर के पिया कल रात उसने मुझे ………. तेरी मय का बहुत शुक्रिया ,
साक़िया ना अब तू गले लगा मुझे ………. क्योंकि अब है नहीं उसे मुझसे कोई गिला ॥
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