This Hindi poem highlights the Love of two Lovers in which the beloved was remembering Her moments of night which she spent with His Lover and the clippings of Her Love were still remains On Her mind.
तेरे- मेरे मिलन की अनोखी सी वो रात ……… मुझे याद आती है बहुत अभी तक ,
जिसमे थे बहते ज़ज़्बात और अधूरा साथ ………. कहीं दूर उस फलक तक ।
तेरा वो मेरे साथ तड़प के ……… कहीं दूर तक गश खाके गिर जाना ,
और फिर उस गश में लौटे ज़ज़्बात , वो मचलते ख़यालात ………. मुझे याद आते हैं अभी तक ।
तेरे होठों से बोलते हुए वो शब्द नशीले पन के ……… देख धड़काते हैं इस दिल को अभी तक ,
फिर उन शब्दों से जुड़े हुए कहीं मेरे मन के भी कुछ शब्द ………. खिलाते हैं इस तन को अभी तक ।
तूने हर सपने को हकीकत बना ……… उसमे एक रंग ऐसा बरसाया ,
कि ना चाहते हुए भी पिघलती हुई शमा ………. देख जल रही है कहीं अभी तक ।
सूनी रातों का ठौर ठिकाना ………बड़ी मुश्किल से मिलता है सच्चे प्रेमियों को ,
और ऐसे ठिकाने में बिताया साथ , थामे तेरा हाथ ………. मुझे बहलाता है देख ना , अभी तक ।
तेरा ये कहना कि तू खादिम है मेरा ………और मेरा ये समझना कि मैं हूँ तेरी गुलाम ,
लिपटा गया दो जिस्मों को ज़मीन पर ………. जिसे रोक ना पाया कोई भी तूफ़ान ।
उसी तूफ़ान के बाद दिखी हुई तबाही का मंज़र ……… मुझे समझाता है अभी तक ,
तेरे और मेरे फ़साने की गहराई को नाप ………. अपने संग बहाता है मुझे देख अभी तक ।
मैं अब भी उस रात की गरमाई को याद करके ………अक्सर सिहर जाती हूँ ,
अपने और तेरे संग बिताए उन लम्हों में डूब कर ……….कहीं अंदर तक मचल जाती हूँ ।
और फिर ज़ोर-ज़ोर से पुकार तुम्हे ………अपनी धमनियों से ये कहलवाती हूँ ,
कि तुम बन कर एक नया लहू मेरे जिस्म में ………. मुझे ज़िंदा रख रहे हो कहीं , अभी तक ।
तेरे- मेरे मिलन की अनोखी सी वो रात ……… मुझे याद आती है बहुत अभी तक ,
जिसमे थी वासनाएँ , कोरी कल्पनाएँ और ढेर सी तमन्नाएँ ………. यहीं इसी ज़मीं से कहीं दूर उस फ़लक तक ।।
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