An Advice Of Lover: In this Hindi poem the poetess is calling her Lover once again as she didn’t pay the attention of his words first and submit their Love story in a contest which is published.
कहानियाँ हकीक़त से बयाँ हो …….तो उनमे “दर्द” होता है ,
कहानियाँ दर्द से बयाँ हो …..तो उनमे “इश्क” होता है ,
“इश्क” और “दर्द” से भरी कहानियाँ ……लिख जाती हैं फलक पर ,
जिनमे “तारों” की टिमटिमाहट का …….हर पल असर होता है ।
मेरी “हकीक़त” से भरी कहानी ……क्यूँ चली है फलक पर छपने ,
मुझे एहसास ही ना था ……कि उसमे “दर्द” इतना भी होगा ?
मैं ये सोच कर हैरान हूँ ……कि “हकीक़त” ऐसे रंग लाएगी ,
जिस कहानी को मैंने एक “Contest” बनाम भेजा ……वही मुझे इनाम~ए~इश्क़ ऐसा दे जाएगी ।
उस “कहानी” में था …….मेरी हकीक़त का “राजकुमार” ,
उस “कहानी” में था …….मेरा अधूरा सा संसार ,
उस “कहानी” में थी ……..मेरी एक तरफ़ा तड़प ,
उस “कहानी” में था …….मेरी शोखियों का खुमार ।
उस “कहानी” में थी …….मेरे बहकते क़दमों की भनक ,
उस “कहानी” में था ……..कहीं धोका तो कहीं प्यार ,
उस “कहानी” में था ……..एक अनजाना सा सफ़र ,
उस “कहानी” में था ……..कहीं एक सचमुच का प्यार ।
वो मेरी जिंदगी का सच था …….जिसे मैंने कागज़ पर शब्दों में उतारा था ,
वो मेरी जिंदगी का सच था …….जिसको पढ़ने पर एक तूफ़ान आने वाला था ,
वो मेरी जिंदगी का सच था ……..जिससे अब मैं डरने लगी थी ,
कि क्यूँ उसे एकं “कहानी” बना ……मैंने अपना ही अक्स उसमे …….इस तरह उतारा था ।
मगर “कहानियों” में अक्सर …….दिलों का मिलन हो जाता है ,
उसमे कहीं एक “आलेख” तो कहीं एक “पाठांतर” ……किताब के अंत में छप जाता है ,
तो क्या ऐसा “आलेख” …….मेरे भी साथ कहीं जुड़ जाएगा ?
जिसकी शुरुआत में “मेरा” …….और अंत में “उसका” नाम आएगा ।
मुझे फिर से जरूरत है “साथी” तुम्हारी ……तुम आयो मुझे फिर से सँभालो ,
मेरी नासमझी को फिर से अपनी …….समझ के साए तले छुपा लो ,
मैं नादान हूँ …….इसलिए ना समझ सकी थी तब ……तुम्हारी बातों का इशारा ,
कि “इश्क” करो ऐसे ……कि उसमे ना आने दो ……अपने “आशिक” का कहीं नाम प्यारा ।
तुमने सही कहा था उस दिन कि …….मत लिखो ऐसी “कहानी”…….जो ला दे एक जलजला किताबों में ,
मत लिखो ऐसी “कहानी” ….जो छपा दे तुम्हारा नाम ……फलक के सितारों में ,
सिर्फ कुछ सुनहरे पल बिताओ …..अपने जीवन के मेरे साथ ,
जो छप जाएँ सिर्फ तुम्हारे मन में …….जैसे छपती है एक खुली “किताब” ॥
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