This Hindi song highlights the Love of two lovers in which the beloved was in a deep remorse on having a faith upon His Lover and did not want to be overcome from that situation.
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ,
उसके संग गिर के फिर सँभल ना पाए ।
वो थामे हाथ मेरा …. हर उम्मीद एक दिल में जगाता ,
मुझे उसके साथ में तब … रँग कोई दूजा ना भाता ,
हर नए रँग में …… एक उमंग भर के घबराए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
मैं जब भी जाने की फ़रमाइश ….. उसके आगे रखती ,
उसकी उम्मीद भरी नज़रें …. मेरा क़त्ल करतीं ,
होश फिर खोकर उसके संग …… बहुत शरमाए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
उसने माँगी थी …. बस थोड़ी सी चाहत हमारी ,
हम दे बैठे उसे …. शरारत अपनी सारी ,
जब सँभल के लौटे …… तो उसकी तड़प से छटपटाए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
वो सँभालता रहा … हर बार मेरी तड़प को यूँही ,
मैं बहकी-बहकी सी …. एक अगन में सिमट गई पूरी ,
वो तब दौड़ के मेरी धड़कनों में …… एक धुन बजाए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
वो जब भी छूने की मुझे ………. कोई कसम खाता ,
तब मेरे हाथ को थामे ………. मुझमे पूरा उतर जाता ,
धड़कनें तेज़ होकर …… ये साँस तब और चढ़ती जाए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
जाने हर बार क्यूँ ………. उस पर दिल ये मचलता है ,
इतनी भोली सी मोहब्बत पर ………. यूँ फिसलता है ,
ये जानते हुए भी …… कि वो मेरा दिल यूँही बहलाए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
उसके नापाक इरादों का ….. अब तक सोचा नहीं कभी ,
गर वो पाक हैं अभी ….. तो नापाक भी हो सकते हैं कभी ,
उन्हीं नापाक इरादों को सोच …… ये दिल तन्हाई में टूट सा जाए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
उसके संग गिर के … अब ख्वाइश नहीं सँभलने की ,
वो चाहे दगा दे … तब भी हसरत है उसके संग मरने की ,
ऐसी हसरतों को दिल में पाले …… हर भरम में भी हम मुस्काए ,
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ।
ऐतबार दिल ~ए करके बहुत पछताए ,
उसके संग गिर के फिर सँभल ना पाए ।।
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