छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ,
तेरे दीदार की तड़प से ……… बेतार हो गए ।
सोचा था अब ना करने देंगे …… तुम्हे अपना हुस्न ~ ए ~ दीदार ,
मगर अब अपने ही हुस्न को ढँकते-ढँकते …… बेहाल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
तेरे लफ़्ज़ों का इशारा …… थोड़ा आँखों से निहारा ,
तेरी उन आँखों की चुभन से …… हम बरबाद हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
हर अंग में हरकत है अब …… तेरे वास्ते सनम ,
तेरे कसीदों से ही तो …… और जवान हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
रोके ना रुके जब हमसे …… अपनी बेबस सी जवानी ,
तब हौले से तेरा दीदार पा …… ज़माल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
खुद को वादों में बाँध लिया …… हमने अनजाने में सनम ,
अब अपने ही वादों से हम …… निढाल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
तुम्हारे पूछने पर बनाएँगे …… अब बहाना कोई नया ,
ऐसे ही बहानो को सोच कर …… और बेख़याल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
तेरे संग मचलने की वो घड़ी …… तेरे संग बहकने की वो कड़ी ,
ऐसी कड़ी को याद करके …… और निहाल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
दिल और दिमाग की जंग में …… हर बार ये दिल जीत जाता है ,
अपने दिल की इसी जीत से …… हम खुशहाल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
छुपने का अब और दिल नहीं करता …… तेरी आशिक़ी से ये दिल है मचलता ,
तेरे संग मचलने का ख्याल लिखते-लिखते ……एक किताब हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
छुपते-छुपते मिलने पर एक रज़ा होगी …… और ना मिलने की ऐसी सज़ा होगी ,
कि छुपाने पर अपनी मोहब्बत ……हम और भी कमाल हो गए ।
छुपते-छुपते तेरी नज़र से ……. बेज़ार हो गए ………
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