Male-
तुम्हे देखा नही मगर देखने की चाहत है
तुम्हे चाहा नही मगर चाहने की चाहत है ।
Female-
चाहतों को थोड़ा कम कीजिए जनाब ,
ऐसे कैसे दिखा दें तुम्हे अपना शबाब ।
Male-
न जाने कैसा नशा है तुझमे साक़ी
होश भी नही रहते मुझमे ज़रा बाकी ।
Female-
इस नशे ने ही तो सबको बर्बाद किया ,
हमें होश में रहने दो , बहुत शुक्रिया ।
Male-
शुक्रिया किस बात का , करीब तो आओ
पास आओ , मेरी नज़र से नज़र तो मिलाओ ।
Female-
पास आने पर , ये नज़र बहक जाएगी ,
तुम छुओगे , तो बेबसी की नींद आएगी ।
Male-
छूने तो दो मुझे , तुम्हारी ज़ुल्फो को एक बार
करने लगोगे तुम भी मुझसे , बेइंतेहा प्यार ।
Female-
बेइंतहा प्यार की घड़ी जब करीब आएगी ,
तुम्हारी साँसें तब हमारी साँसों में , लिपटती नज़र आएँगी ।
Male-
तुम्हारे अंदर जो जल रही आग जाने कबसे
इस पर हो गया है इख़्तियार मेरा अब से ।
Female-
उस आग को तुमने , ना जाने कैसे पहचाना , ओ दिलरुबा ,
शायद उसी आग में भस्म होने को , तुम मिले हो , तुम्हारा शुक्रिया ।
Male-
काश कि एक रोज़ दीदार हो तुम्हारा ,तुम्हारे जिस्मो रूह पे हक हो हमारा ,
खो जाओ तुम मुझमे इस तरह ऐ जान ,कि मिल जाए समन्दर की मौज को किनारा ।
Female-
हम पिघल गए तेरी ज़र्रानवाज़ी से , ए शहबाज़ ,
लिख लीजिए हमसे दीदार~ ए ~ वक़्त का फ़रमान , तुम आज ।
Male-
कैसा फरमान और कब मिलेगा मुझे ये फरमान ,
कहीं उसके पहले निकल न जाए मेरी जान ।
Female-
शब~ए~ रुखसार पर जब ईद ~ए~ चाँद , अपनी दस्तक देगा ,
हमारे हुस्न पर तब आपकी हुकूमतों का असर होगा ।
Male-
मेरे दिल की हुकूमत में पैगामे मोहब्बत लेकर तुम आई हो
मेरे जिस्मो जां तलक रूह बनकर तुम समाई हो ।
Female-
खड़े होंगें हम वहाँ , इस उम्मीद से कि तुम आओगे ,
जिस साथ को यहाँ बयाँ नहीं किया , उस साथ की झलक दिखलाओगे ।।
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Copyright- Praveen Gola
Copyright- Shahbaz Khan