दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ,
मैं परेशान हो रहा था ……… तेरे आने से ,
मैं साँस लेता , तो था दम मेरा ……… घुटता अंदर ,
ये हैरान हो रहा था ……… तेरे आने से ।
तेरे इंतज़ार में काटी थी मैंने ………कई दिनों की तपिश ,
फिर भी दफन थी सीने में ……… अंदर की हर ख्वाईश ,
मैं जग गया था सपने से ………. तेरे बुलाने से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।
तपिश बहुत थी तेरे अंदर ……… तू ये नही जाने ,
अपनी ज़िद के आगे चली थी ……… मेरा वजूद मिटाने ,
मैं तड़प रहा था , तन्हा सा ………. तेरे आने से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।
सूनी रातों में , बढ़ जाती थी ………जिस्म की गर्मी ,
और फिर उसमे जन्में ……… ख्यालों की बेशर्मी ,
मैं झिझक रहा था , वो सब ………. तुझे बताने से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।
हौले-हौले से किए इशारे ही ………बहुत थे सनम ,
मेरे समझने को तेरे वादे ही ……… बहुत थे सनम ,
मैं बहक रहा था , खुद ही से ………. तेरे आने से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।
मन में एक उम्मीद सी जगी थी ………तेरी चाहत की ,
तू “ना” कहे , तो भी आह निकली थी ……… तेरी इबादत की ,
मैं संभल रहा था धीरे-धीरे ………. तेरे वादे से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।
कश्मकश में खड़े थे हम ………जाएँ तो किधर जाएँ ,
अपनी बेबसी का ये अधूरा किस्सा ……… किसे सुनाएँ ,
मैं मुस्कुरा रहा था यूँही ………. तेरे बहाने से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।
बिन कुछ कहे ही , तूने मेरी ………बेबस साँसों को जान लिया ,
उन पर भी अपनी हुकूमत का ……… तमगा टाँग दिया ,
मैं चुपचाप से सिहर गया ………. तेरे हुकुमनामे से ,
दिल बदनाम हो रहा था ……… तेरे आने से ।।
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