दिल~ए~फ़रेबी उसकी वफ़ा के आगे …. फ़रेब कैसे करें ?
फ़रेब करके फिर उसकी कमी को … बोलो ना कैसे भरें ?
दिल~ए~फ़रेबी , फ़रेब इश्क़ की , दवा नहीं होती ,
ये बददुआ है बन जाती , जो कोई इसको नज़र करे ।
दिल~ए~फ़रेबी उसकी वफ़ा के आगे … फ़रेब कैसे करें ….
दिल~ए~फ़रेबी , तूने किया है , सच का उसे प्यार ,
फिर भला कैसे , छोड़ दें उसे , तड़पता हुआ कहीं यार ।
दिल~ए~फ़रेबी , जानता है तू , ये इश्क़ है माया जाल ,
तो क्या हुआ , जो फरेब ना करके , वफ़ा का पहनाना पड़े उसे हार ।
दिल~ए~फ़रेबी उसकी वफ़ा के आगे ….. फ़रेब कैसे करें …
दिल~ए~फ़रेबी , फ़रेब करके , जा ना सकेगा तू ,
उसकी ख्वाइश को , अपने दिल से कभी , भुला ना सकेगा तू ।
दिल~ए~फ़रेबी , फ़रेब से गर तुझे , मिलता हो थोड़ा सुकूँ ,
तो इस फ़रेबी दिल में , जगह ना दे उसको , जिसे चखने चला है तू ।
दिल~ए~फ़रेबी उसकी वफ़ा के आगे … फ़रेब कैसे करें ….
दिल~ए~फ़रेबी , तेरी जात से अक्सर , डर लगता है क्यूँ ?
वो फरेबी नहीं , फिर तू क्यूँ , फरेब करने लगा है यूँ ?
दिल~ए~फ़रेबी , उसे मत दिखा , इस फ़रेब का आइना ,
वो ना चल सकेगा , दस कदम भी , होगा जब तेरा कभी उससे सामना ।
दिल~ए~फ़रेबी उसकी वफ़ा के आगे … फ़रेब कैसे करें ….
दिल~ए~फ़रेबी , दिल फ़रेब से अक़सर , हो जाते हैं बदनाम ,
और वफ़ा करने पर , लिखवा लेते हैं , इतिहास में अपना नाम ।
दिल~ए~फ़रेबी , इस “फ़रेब” की परिभाषा को , रखना सदा परे ,
या फिर कभी , वफ़ा ना करना , चाहे हँसना पड़े बेवजह ।
दिल~ए~फ़रेबी उसकी वफ़ा के आगे .. फ़रेब कैसे करें….
दिल~ए~फ़रेबी , उसकी वफ़ा को , एक नायाब तोहफा समझ करना कुबूल ,
और उससे इस “फ़रेब” शब्द का , ज़िक्र करने की , मत करना कभी भी कोई भूल ।
दिल~ए~फ़रेबी , इस “फ़रेब” शब्द की , नहीं है कोई इस इश्क़ में जगह ,
क्योंकि ये पनपने नहीं देगा तुम्हे ,चाहे कहीं और भी , ले लो तुम पनाह ।।
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