दिल खाली-खाली सा, हो जाता है ………. जब तू नहीं , मुझसे मिलने आता है ,
मैं बार-बार , क्यूँ तुझे बुलाने को ……… रुक सा जाती हूँ , तेरे पास आने को ,
दिल खाली-खाली सा, हो जाता है ……….
एक टीस सी , इस मन में जगती है ………. तेरे वास्ते ही , तू मेरी हस्ती है ,
ये सोच के , मैं तेरा इंतज़ार करूँ ……… तुझे पाने को , ये दिल बर्बाद करूँ ,
मुझे पता है , तू बेवफा नहीं ……… मेरी तरह ही तू , इस वक़्त तन्हा नहीं ,
फिर भी ये दिल , तेरे ना आने से ……… और भी देख , बुझ सा जाता है ।
दिल खाली-खाली सा, हो जाता है ……….
सुबह और शाम , वक़्त को रोक ………. मैं तेरी चाहत में , खुद को टोक ,
तेरे साथ को , अपने लिए ……… चुराने को कहीं , सपने लिए ,
तेरी तरह ही , तड़प के रह जाती हूँ ……… अपनी दूरियों पर , थोड़ा मुस्कुराती हूँ ,
और फिर तेरे , नाम को पाकर ……… एक और कोशिश से , ये दिल घबराता है ।
दिल खाली-खाली सा, हो जाता है ……….
मैं भी हूँ इन्सां , तेरी तरह ………. मेरे मन में भी अक्सर , उठता है धुआँ ,
तेरे वास्ते , नए रास्ते ……… पाने को मैं , जीऊँ आहिस्ते ,
बहकने को मैं , आज थी खड़ी ……… तू नहीं मिला , थी कैसी मुश्किल की घडी ,
खुद को रोक के , दिल को बोल के ……… कि तू सपना है एक , ये और भी मर जाता है ।
दिल खाली-खाली सा, हो जाता है ……….
बहुत देर तक , तेरी राह तकने के बाद ………. मैं चली गई , अपनी दुनिया में फिर से आज ,
तुझे बुलाने को , कल फिर से मैं ……… आऊँगी देख , तेरी कशिश से मैं ,
इस यकीन से कि , तू कल फिर आएगा ……… मेरे अधूरे अरमानों को , फिर जगाएगा ,
मैं समेट लेती हूँ , उन अरमानों को ……… मगर मेरे नैनो में , जाते-जाते हुए नीर भर जाता है ।
दिल खाली-खाली सा, हो जाता है ……….
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