In this Hindi poem a Lover is talking with his own heart and asking that is it his fault that he loves someone.
दिल~ए~ नादान …..मेरी खता क्या है ,
मुझे तेरी कसम …….हुआ क्या है ?
दिल~ए~ नादान …..मैं तड़पूं उसके लिए ,
ना जाने मेरी तड़प की ….वजह क्या है ?
दिल~ए~ नादान …..वो मेरी चाहत है ,
ऐसी चाहत की फिर …..सज़ा क्या है ?
दिल~ए~ नादान …..वो मेरा लखते जिगर ,
इस जिगर में उसके लिए …….वो दुआ क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मैंने उसके कदमो तले ,
अपने कदमो से …..बिखेरा क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मेरी अधूरी ख्वाइश ,
हर ख्वाइश में देख …….छुपा क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मुझे छुपने दे यहीं ,
हाँ उसके सीने में …….वो जगह क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……उसके साए के तले ,
मेरे साए में दिखता ……वो तूफाँ क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मेरे जिस्म की गर्मी ,
सोने ना दे मुझे …….इसमें वो धुआँ क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……वो आकर मुझसे कह दे ,
हाँ मैं करार तेरा ……..तो बुरा क्या है ?
दिल ~ए~ नादान …..मुझे बहकने दे ,
उसकी बातों में …..वो नशा क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मैं जब अपनी साँसे गिनूँ ,
उसकी साँसों से जुड़ी ……. वो हवा क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मुझे सुकून मिले ,
उसकी हँसी में …….वो दवा क्या है ?
दिल ~ए~ नादान …..मैं एक बहाना बनके ,
उसके साथ जीऊँ तो …..वो फ़साना क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……उसे बुलाने दे मुझे ,
हर आवाज़ में उसकी ……. वो तराना क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……वो मेरी महफ़िल का कहर ,
हर नए जाम में …….वो ज़हर क्या है ?
दिल ~ए~ नादान …..मुझे रु~ब~रु की तलब ,
उसके दीदार में ……ये “दीवाना” क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……मैं हूँ फूलों का भँवरा ,
मगर उस फूल में …..वो महक क्या है ?
दिल ~ए~ नादान ……उसे मिला दे मुझसे ,
हर मिलन की चाहत में ……..वो कशिश क्या है ?
दिल ~ए~ नादान …..कभी जब मैं आँखें मूँद …….साँसे तोडूँ ,
मेरा सर उसकी बाहों में झूले …….ऐसी एक इल्तजा है ।
दिल ~ए~ नादान ……मेरी खता क्या है ,
मैंने दिल उसको दिया ……इसमें बुरा क्या है ?
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