In this Hindi poem the Lover Has gone for some days and the poetess is expressing Her feels regarding the Hope which she retains of coming back.
अभी तो गए हुए तुझे कुछ घंटे हुए ….
देख तेरे आने की उम्मीद में ,
हम वक़्त से खफा होने लगे ।
अभी तो तुझसे गपशप किए हुए कुछ पल बीते ….
देख तेरे लफ़्ज़ों को सुनने के लिए ,
हम बेख़ौफ़ से अपने मोबाइल को कानों पर लगा तड़पने लगे ।
अभी तो धड़कनों ने धड़कना सीखा …..
देख उन्हें धड़काने के लिए ,
हम तेरी तस्वीर को सीने पर रखने लगे ।
अभी तो तेरे लफ़्ज़ों की तपिश भी बाकी थी यहाँ ……
देख उन्हें अंगारे बनाने के लिए ,
हम तेरे “वजूद” के लिए तरसने लगे ।
अभी तो तूने सिर्फ इतना कहा था कि तू जाएगा …..
देख मेरी पलकों पर बिछे आँसू ,
बिन बादल के ही बरसने लगे ।
अभी तो तूने मेरा हाथ थामा था …..
देख उस हाथ की लकीरों में ,
ना जाने कितनी बार तेरा अक्स छुपा हँसने लगे ।
अभी तो अपने नाम में तेरे नाम का अक्षर ढूँढा था …..
देख उस अक्षर के सिर्फ मेल से ही ,
अपने जीवन की डोर तेरे संग बाँध के चलने लगे ।
अभी तो ये पाया था कि तू मेरा विश्वास है …..
देख उस विश्वास के सतरंगी इन्द्रधनुष के ,
सातों रंगों को अपने मन में भरने लगे ।
अभी तो तुझसे सीखा था चाहतों का रंगीन सफ़र …..
देख उस सफर को एक नई गति देने के लिए ,
अपनी बाहें फैला तुझसे आलिंगन को तरसने लगे ।
अभी तो पहने थे अपने हाथों में कंगन रंग-बिरंगे …..
देख उन कंगनों की खनक अपनी कलाई पर महसूस कर ,
धीमे-धीमे से तेरे बिस्तर पर बजा थिरकने लगे ।
अभी तो सजाई थी अतरंग क्षणों की मधुर बेला ……
देख उस बेला में फैली खुशबू को ,
उड़ने के डर से खुद को कमरे में बंद करने लगे ।
अभी तो गए हुए तुझे कुछ घंटे हुए ……
देख उन घंटों को ना जाने कब हज़ार सालों में तब्दील कर ,
बिछड़ने के ख्याल से ही डरने लगे ॥