I Am Yours – This Hindi poem highlights the frame of mind of a female writer in which she is getting tired with her words of writing in expressing the love of Her lover but she ties an internal bond too only with Her written words.

Hindi Love Poem – I Am Yours
Photo credit: ChasC from morguefile.com
(Note: Image does not illustrate or has any resemblance with characters depicted in the story)
तुम्हे शब्दों की माला पहनाते-पहनाते ,
थकने सी लग गयी हूँ अब मैं ,
तेरे इश्क पर अपना रंग चढ़ाते-चढ़ाते ,
बिकने सी लग गयी हूँ अब मैं ।
लाखों शब्दों को पिरो कर दिन रात ,
सिर्फ तुम्हारे लिए लिखे मैंने इतना ज़ज्बात ,
कि अब हाथों को भी चलना आ गया ,
देखो बिना पकड़े तुम्हारा हाथ ।
तुम्हारी बातों पर इतना यकीन करके ,
आँखें बंद करके चलने लगी हूँ अब मैं ,
तुम्हे हो नसीब जीवन की हर ख़ुशी ,
इसी विश्वास से खुद को समर्पित करने लगी हूँ अब मैं ।
चुन -चुन कर ना जाने कितने शब्दों को ,
रोज़ तुम्हारी हर अदा पर न्योछावर किया ,
तुम सलामत रहो हमेशा ,
बस इसी दुआ से तुम्हारे लिए ये सजदा किया ।
इस तरह मन ही मन में चुपचाप से हँस के ,
डरने सी लग गयी हूँ अब मैं ,
आँखों में हसीन ख़्वाबों के चलते ,
लुटने सी लग गयी हूँ अब मैं ।
मेरे हर शब्द में छिपी है देखो ,
अपनी ही वो प्रेम कहानी ,
जिसे समझेगा ना कोई और दूजा ,
क्योंकि तुम्हारे लिए ही है वो बस इतनी रंगीन-सुहानी ।
हर तराने को अपने पिरोकर इस माला में ,
तुम्हारे संग बंधने सी लगी हूँ अब मैं ,
अपनी पाक मोहब्बत का सबूत देते-देते ,
खुद ही नासमझ बनने सी लगी हूँ अब मैं ।
मेरे शब्दों के जादूगर हो तुम देखो ,
जो आते हो हज़ार फ़साने बनाने ,
कभी बुला कर कनखियों से सर~ए~आम मुझे ,
लग जाते हो मुझे खुद ही मनाने ।
तुम्हारे बुलाने की उस अदा पर सच में ,
खुद ही सँवरने सी लगी हूँ अब मैं ,
जो जिस्म कभी संवारना भूल गया था ,
उसे फिर से सजाने लगी हूँ अब मैं ।
मेरे शब्द रोज़ पूछा करते हैं मुझसे ,
क्या यूँही घिसते रहेंगे हम उम्र भर ?
जो माला पिरोई है मैंने सदियों से ,
क्या कोई नहीं पहनेगा उसे बढ़ कर ?
उनकी बातों को सुनकर मैंने कहा ,
इस माला से ही तो ऊँचा उठने लगी हूँ अब मैं ,
कुछ शब्द मेरे बिक गए भी तो क्या ,
बाकी शब्दों को पिरो कर ही तो …..तुम्हारी हो गयी हूँ अब मैं ॥
***