This Hindi Poem highlights the feelings of a beloved in which she is wishing some fantasies for Her Lover on the occasion when she will be going to meet with Him physically.
कभी मिलो तो नज़र मिला लें ………. ऐसी नियत से हमें तकना ,
चुपके-चुपके से धुन कोई सुना दें …… ऐसे बाहों में हमें जकड़ना ।
तुम्हारे तकने में वो अदा है ……… कि हम संभलते हुए गिर जाते ,
कभी तन्हाई में , कभी संग तेरे …………. सहमे-सहमे से पिघल जाते ।
कभी मिलो तो अपना दामन बचा लें ………. ऐसी नियत से उसे पकड़ना ,
हौले-हौले से अपनी साँसों को ठहरा दें …… ऐसे खामोशी से उनमे उतरना ।
तुम्हारे जिस्म में वो गर्मी है ………. कि हम शोला सा बन जाते ,
कभी पानी से , कभी बर्फ से …… बहते तो कभी जम जाते ।
कभी मिलो तो तुम्हे देख मुस्कुरा दें ………. ऐसे जवाबों में हमें रखना ,
बहके-बहके से अपनी धड़कनों को धड़का दें …… ऐसे सीने पर हाथ रखना ।
तुम्हारी वो नशीली सी बातें ………. हमें रोज़ कर देती हैं दीवाना ,
कभी कानों में , कभी साँसों में …… छेड़ देती हैं एक तराना ।
कभी मिलो तो अपने लबों से तुम्हे पुकारें ………. ऐसे तरानों को गर्म रखना ,
मद्धम-मद्धम से सुर नए सज़ा लें …… ऐसे सुरों में अपने सुरीले गीत भरना ।
तुम्हारे अंगों को देख कर ऐसा लगे ………. जैसे यौवन हो फिर से कहीं आया ,
कभी दरिया ने , कभी समुन्दर की लहरों ने ……… हमें फिर से हो नहलाया ।
कभी मिलो तो हमारे यौवन की इस कसक को ………. अपने अंदर महसूस करना ,
दहकते-दहकते से हमारे जिस्म के हर अंग को …… अपने जिस्म की अधूरी सी प्यास समझना ।
तुम्हारे साथ जीने की ख्वाइश लिए ………. हम रोज़ ख्यालों में मरते हैं ,
कभी दिल में , कभी इस जाँ में , तुम्हे अपने संग लिपटा ……… अधूरे से मचलते हैं ।
कभी मिलो तो हमें पूरा अपने अंदर समां लो ……… ऐसी चाहत से हमसे मिलना ,
गहरे-गहरे से हमारे मन को और गहरा दो …… ऐसी गहराई से हमारे अंदर उतरना ।
कभी मिलो तो नज़र मिला लें ………. ऐसी नियत से हमें तकना ,
चुपके-चुपके से धुन कोई सुना दें …… ऐसे बाहों में हमें जकड़ना ।।
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