This Hindi poem highlights the deep attachment of two lovers in which both separated in a very painful manner in a lovely lonely night.
कल रात ‘इश्क” जज्बातों का …….मोहताज़ हो गया था ,
घुट-घुट कर हम जिए थे …..और घुट-घुट कर वो मरा था ।
कल रात ‘इश्क” तूफानों का …….सरताज हो चला था ,
घुट-घुट कर हम उड़े थे …..और घुट-घुट कर वो दबा था ।
कल रात ‘इश्क” सूरज का …….ताप ले चढ़ा था ,
घुट-घुट कर हम खिले थे …..और घुट-घुट कर वो जला था ।
कल रात ‘इश्क” बादल सा …….बेताब हो फटा था ,
घुट-घुट कर हम बरसे थे …..और घुट-घुट कर वो गरजा था ।
कल रात ‘इश्क” हवाओं का …….दूत बन उड़ा था ,
घुट-घुट कर हम बहे थे …..और घुट-घुट कर वो गिरा था ।
कल रात ‘इश्क” नदिया का …….बाँध बन रुका था ,
घुट-घुट कर हम टिके थे …..और घुट-घुट कर वो टूटा था ।
कल रात तेरा-मेरा फ़साना …….बनते-बनते रह गया था ,
घुट-घुट कर हम डूबे थे …..और घुट-घुट कर वो जला था ।
कल रात अपने आगोश में ……..भरने को वो मिटा था ,
घुट-घुट कर हम तड़पे थे …..और घुट-घुट कर वो खड़ा था ।
कल रात उसके लफ़्ज़ों को ………सुन-सुन कर क़त्ल हुआ था ,
घुट -घुट कर हम पिघले थे …..और घुट-घुट कर वो बोला था ।
कल रात सागर और नदिया का …….थोड़े दूरी तक साथ रहा था ,
घुट-घुट कर हम फिसले थे …..और घुट-घुट कर वो किनारे लगा था ।
कल रात हकीक़त का जैसे …….इम्तिहान हो रहा था ,
घुट-घुट कर हम जगे थे …..और घुट-घुट कर वो सोया था ।
कल रात सब कुछ अचानक ………बदला-बदला सा लगने लगा था ,
घुट -घुट कर हम खिले थे …..और घुट-घुट कर वो जिया था ।
कल रात जैसी बेबसी का ………नज़ारा ही एकदम नया था ,
घुट -घुट कर हम रोए थे …..और घुट-घुट कर वो हँसा था ।
कल रात हम दोनों का वो …….अधूरा साथ बहुत बुरा था ,
घुट -घुट कर हम संभले थे …..और घुट-घुट कर वो गिरा था ।
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