कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ,
कहो कि इस सुहानी धूप में ………. तुम बनके किरण उतरोगे ………. मेरे आर-पार ।
कहो कि तुम बादल बनोगे ……… उमड़-घुमड़ कर छेड़ोगे ………. मेरे मन के तार ,
जब भर जाओगे अपने मन की तरंग से ………… तब बरसोगे मुझ पर तुम बेशुमार ।
कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ,
कहो कि इन वीरान घाटियों में ………. बजेंगी जलतरंगें ………. फिर कई बार ।
कहो कि तुम सुबह थे ……… ठंडी ओस की बूँदें ………. और शाम को हो एक ठंडी फुहार ,
भिगाकर मेरे तन और मन को ………… नहीं जाओगे ऐसे अबकी बार ।
कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ,
कहो कि इन उड़ते पंछियों की भाँति ………. तुम संग उड़ोगे मेरे ………. मीलों हज़ार ।
कहो कि दूर पर्वतों पर ……… बनाओगे मेरे संग ………. अपने आशियाँ की मीनार ,
फिर उसी आशियाँ में ले जाकर ………… चूमोगे मुझे अनगिनत बार ।
कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ,
कहो कि तुम्हारे दिल में भी ………. उठती हैं वही लहरें ………. जो हैं मेरे दिल के तार ।
कहो कि इन रँग -बिरंगे फ़ूलों की भाँति ………हर रँग सजाओगे तुम ………. मेरी माँग में यार ,
बस रँग लाल तुम तभी भरोगे ………… जब इन्द्रधनुष से सज़ा होगा ये गगन आपार ।
कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ,
कहो कि तुम्हारे संग मैं भी गुनगुनाऊँ ………. वही गीत ………. जिनसे तुम करते हो प्यार ।
कहो कि तुम हो एक तीखी अगन ………जिसमे जल जाऊँगी ………. मैं एक पल में यार ,
तड़पती हुई किसी मछली की भाँति ………… जल में समाने को हो जाऊँगी तैयार ।
कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ,
कहो कि अपनी नज़रों से तुम ………. नहीं करोगे मुझ पर ……….इन नज़रों के वार ।
कहो कि तुम्हारे दिल के तड़पने की ………मैं भी सुनूँ ……… कोई चीख-पुकार ,
कह दो तुम एक बार …………. कि ये दिल मचल रहा बार-बार ॥
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