खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
मैं नहीं रह पाऊँगी प्यासी ……… अब और एक भी रात ।
महसूस होती है मुझे तेरी कमी ………. तेरे चले जाने के बाद ,
तेरे सामने रोक लेती हूँ मैं ……… ना जाने अपने कितने ज़ज़्बात ।
खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
तेरे वास्ते मैं रह गई अधूरी ……… फिर तेरे इंतज़ार में देख आज ।
क्या से क्या बना दिया तूने ………. मैं सोच कर हैरान हुई ,
ना-ना कहते हुए भी देख ……… तेरे इश्क़ के रँग से जवान हुई ।
खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
या लौटा दे मुझे तेरा-मेरा ……… वो पुराना वाला ही साथ ।
किस मोड़ पे ले आया तू मुझे ……….जहाँ पाले खड़ी हूँ मैं भरम लोक-लाज ,
दे अब इस दिल को तसल्ली ……… कि नहीं खुलेगा मेरी मासूमियत का कोई राज़ ।
खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
मैं प्यासी सी भटकती हूँ ……… तेरी इंतज़ार में अब दिन-रात ।
हर बार मैं सोचती हूँ ………. कि रोक लूँगी मैं खुद को अपनी इच्छाशक्ति से ,
मगर तू जादूगर ऐसा ……… कि बहला लेता है मुझे अपनी बातों से ।
खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
मैं सँवर जाऊँगी तब और ……… तेरे तन से लिपट के फिर आज ।
तुझे नाराज़ करके चले जाना ………. फितरत में मेरी नहीं है सनम ,
खुद को तराशते हुए पाना ……… तेरे सामने नहीं मुझे पसंद ।
खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
मदहोश सा मैं हो रही हूँ ……… तेरे साथ बिताए उन लम्हों के बाद ।
वादा ~ ए ~ मोहब्बत दिलों से अकसर ………. अनजाने में हो जाते हैं ,
और फिर उन वादों से ………तमाम उम्र प्रेमी पछताते हैं ।
खींच ले मेरे तन की गर्मी ……… अपने तन की गर्मी के साथ ,
मेरे दिलों के वादों को ……… अपने दिलों के वादों से भरने को आज ।।
***