This Hindi poem highlights the Love of two Lovers in which they describe their pathetic sides when they meet together. Here the real happiness lies in their meet instead of their depart and due to this only they felt more closer to each other.
कुछ तूने कहा ,कुछ मैंने कहा ……… अपने दिल का रंज~ ओ~ गम ,
मिलने की ख़ुशी बहुत ज्यादा थी ……… ना मिलने का बहुत थोड़ा था गम ।
मजबूर थे कुछ तुम सनम ……… और कश्मकश में थी कुछ मैं भी सनम ,
तूने आकर के दूर किया सब ……… मेरे सवालों का वो अनोखा भरम ।
कहा कि थोड़ा सब्र करो तुम ……… मत गम करो इस ज़माने का ,
ये इश्क़ से सदा ही रहा है खफा …………… मत जवाब दो तुम इसके सवालों का ।
कुछ तूने कहा ,कुछ मैंने कहा ……… अपने दिल का रंज~ ओ~ गम ,
मिलने की ख़ुशी बहुत ज्यादा थी ……… ना मिलने का बहुत थोड़ा था गम ।
मेरे नैनो में बहते आँसुओं को तूने ……… अपने हाथों से बढ़कर सँवार लिया ,
मेरी अंतरात्मा की ज़ुबानी को ………पल भर में अपने दिल में उतार लिया ।
मेरी सहमी-सहमी सी हस्ती को तूने ……… झट बाहों में भरकर अपने गले से लगाया ,
कभी लबों से चूमा मेरी मोहब्बत को ……………कभी अपने खाली दिल का वो इकलौता घर दिखलाया ।
कुछ तूने कहा ,कुछ मैंने कहा ……… अपने दिल का रंज~ ओ~ गम ,
मिलने की ख़ुशी बहुत ज्यादा थी ……… ना मिलने का बहुत थोड़ा था गम ।
हर बार हम इस दिल को अपने ……… कोसते बहुत हैं तेरे आने के बाद ,
कि क्यूँ अक्सर तन्हाई में , रह जाते हम अकेले ………तेरे जाने के बाद ।
इसलिए अपने दिल का रंज~ ओ~ गम ,……… एक झटके में तुझे सुना गए ,
तू कह भी ना पाए कुछ ……………ऐसी सूरत इस समाज की तुझे दिखा गए ।
कुछ तूने कहा ,कुछ मैंने कहा ……… अपने दिल का रंज~ ओ~ गम ,
मिलने की ख़ुशी बहुत ज्यादा थी ……… ना मिलने का बहुत थोड़ा था गम ।
तूने जाते-जाते भी मगर जानेजाना ……… अपनी पाक मोहब्बत को दाद दी ,
जो इतनी सँग दिल थी बनी हुई ………कि हर मोड़ पर रुकने को बेताब थी ।
ना मिलने का वो थोड़ा सा गम ,………हमें और करीब लाता चला गया तेरे ,
जिसमे मिलने की सारी खुशियाँ थी ……… उन्हीं से दूर होते थे मेरे दिल के सब अँधेरे ॥
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