ले चल मुझे तू वहाँ  ……… जहाँ ये दिल मिलें ,
जहाँ ये दिल रुकें  ……… जहाँ ये दिल चलें ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये दिल मिलें …………
तुझे मिलने को ए दिलबर  ……… मैं रात दिन जलूँ  ,
अक्सर तन्हाई में  ……… तेरे नाम का सज़दा करूँ  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये दिल मिलें …………
मैंने साथ चलने को तेरे संग   ……… देख संजोयी शाम  ,
कभी सपने बुने निराले   ……… कभी हकीकत को दिया अंजाम  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये दिल मिलें …………
मुझे क़ैद से अब अक्सर   ……… लगता है बहुत डर  ,
कहीं तू बिछड़ ना जाए  ……… अपनी किस्मत को कोसूँ अक्सर  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये दिल मिलें …………
तेरा वादा था बस यहीं तक  ……… मगर मेरी नियत में है अब खोट  ,
मैं रह ना पाऊँगी तेरे बिन  ……… चाहे सहनी पड़े कोई चोट  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये दिल मिलें …………
चलना -चलाना दिलों का ही तो ……… ले आता है हमको करीब  ,
गर ये दिल यहीं रुक जाए   ……… तो क्या पता कैसा हो किसका नसीब  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये दिल मिलें …………
यूँ तो दिल मिलते हैं अपने  ……… दूर रहकर भी ओ सनम   ,
मगर ये और मिलेंगे   ……… जब संग होंगे तेरे-मेरे बदन  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये बदन मिलें …………
दिलों से बदन मिलने पर ही  ……… तो आता है हर संतोष   ,
खाली दिलों की मोहब्बत भी  ……… दिलों में भर देती रोष  ।
ले चल मुझे तू वहाँ ……… जहाँ ये रोष जले ………….
जहाँ ये दिल मिलें   ………… वहाँ ये बदन चलें ,
जहाँ ये बदन रुकें  ……… वहाँ ये दिल मिलें ।
ले चल मुझे तू वहाँ  ………ले चल मुझे तू वहाँ  ………
ले चल मुझे तू वहाँ  ………ले चल मुझे तू वहाँ  ………
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