This love poem in Hindi “A Life Without Him” describes pain of living without lover. Without him, she finds life to be deep dark moat and without love crossing it is impossible.
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
जहाँ सुकून और चैन खो गए ,
बस आँखों में एक काली गहरी सी स्याही है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
तन्हाईयों में जीने का …..
एक हाथ जो थामा था उसने ,
उस हाथ की ही रेखायों में ,
तकदीर छिनने की रेखा उभर आई है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
होठों पर देकर इतनी मुस्कुराहट ,
अब सीने में ही कहीं दफनाई है ,
एक शिकन की रेखा मेरे चेहरे पर ,
न जाने फिर से क्यूँ नज़र आई है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
धड़कने धड़कते -धड़कते ……
धडकनों से ही वापस टकराई हैं ,
न जाने क्यूँ इन धडकनों ने भी ,
अब न धड़कने की कसम खाई है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
वो आवारगी …वो तिश्नगी ……वो दीवानगी ,
सब दो दिन की मेहमान नज़र आई है ,
एक मासूम से चेहरे पर अब तो ,
एक कठोरता की लहर दौड़ आई है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
बहुत मुश्किल होता है अक्सर ,
वापस आना अपने उड़ते हुए ख्यालों से ,
एक दर्द ऐसा होता है तब ,
जिसमे कई ज़ख्मों की गहराई है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
बैरी बन गया सारा ज़माना ,
जिसे मैंने दो पल की ख़ुशी भी ….न अब तक दिखाई है ,
फिर भी उसके बिना जीने की ,
हर कसम उसने मुझसे खिलवाई है ।
उसके बिना जी कर देखा …. तो मैंने पाया ,
कि जैसे रातों की एक लम्बी -गहरी सी खाई है ।
जी चाहता है कि आग लगा दूँ ,
हर उस ठौर-ठिकाने को ,
जहाँ बन के मसीहा वो रहता है ,
और उसकी मसीहत में …..मेरे इश्क की तड़प समाई है ।।