तुम अपनी मदहोश आँखों से …… मुझे मदहोश कर दो सनम ,
मैं अपनी मदहोश नज़रों से …… तुम्हे मदहोश कर दूँगी ।
तुम्हारी नज़रों में था , ऐसा क़ातिलाना अंदाज़ …… उस शाम ,
कि एक पल को उन्हें देख कर ………. मैं भूल गई थी अपना नाम ।
तुम्हारी नज़रों में थी , एक शोख अदा भी ………. प्यार की ,
और हलकी सी मस्ती बोझल दिल के …… खुमार की ।
तुम अपनी मदहोश आँखों से …… मुझे मदहोश कर दो सनम ,
मैं अपनी मदहोश नज़रों से …… तुम्हे मदहोश कर दूँगी ।
ना जाने क्या पनप रहा था , उस वक़्त ………. तेरे दिल में ,
कि तेरे लफ़्ज़ों से टपक रहा था , जो था …… तेरे दिल में ।
मैं उन लफ़्ज़ों को सुनकर ……… देखती थी तेरी नज़रों में ,
जो मदहोश सी बहक रही थीं ……. अपने मन के किसी नगर में ।
तुम अपनी मदहोश आँखों से …… मुझे मदहोश कर दो सनम ,
मैं अपनी मदहोश नज़रों से …… तुम्हे मदहोश कर दूँगी ।
तुम्हारी मदमस्त आँखों के अंदर ………. मैं समा ही जाती सनम ,
कि उससे पहले दगा दे गया …… ये वक़्त बेरहम ।
मेरे कुछ कहने से पहले ही ……… तुम्हारी नज़रें संभल गई ,
और किसी कटे पंछी की तरह ……. तड़प के गिर गईं ।
तुम अपनी मदहोश आँखों से …… मुझे मदहोश कर दो सनम ,
मैं अपनी मदहोश नज़रों से …… तुम्हे मदहोश कर दूँगी ।
तुम्हे जाना पड़ा सब छोड़ के ………. उन लम्हों को बीच बाज़ार ,
कहकर हमें कि फिर मिलेंगे ……… जब होगा तन्हाई पर अधिकार ।
अब हमारी नज़रों में उतर गई थी …… तुम्हारे प्यार की शोखी ,
वो मदहोश सी होकर हटी थीं ……… देख तुम्हारी गर्मजोशी ।
तुम अपनी मदहोश आँखों से …… मुझे मदहोश कर दो सनम ,
मैं अपनी मदहोश नज़रों से …… तुम्हे मदहोश कर दूँगी ।
ये वादा रहा अपना ………. कि जब मिलेंगे अगली बार ,
तब तुम्हारी और अपनी नज़रों को ……… मदहोश करेंगे फिर एक बार ।
तब ना होगा , हम दोनों के बीच …… कोई और फ़ासला ,
बस मदहोशी का आलम बनेगा ……… और मदहोशी का ही सिलसिला ।
तुम अपनी मदहोश आँखों से …… तब मुझे …… मदहोश कर देना सनम ,
मैं अपनी मदहोश नज़रों से …… तब तुम्हे …… और मदहोश कर दूँगी ।।
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