This Hindi poem highlights the desire of a beloved wife in which She too wanted to accompany in a bar room with Her husband as She thought that there was something lacking in her life which Her husband was trying to search there.
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग रँगने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
जिस मय को गले लगा ……… तू समझता उसे अपनी दिलबर ,
उसी मय में मुझे समा ………. और कह मैं हूँ तेरी सितमगर ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग जलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
तेरा मयख़ाना मुझसे ……… हर बार दगा करे ,
मैं जब भी मचलना चाहूँ ………. ये तब ही गिला करे ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग पिघलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
तेरे पीने से गिला नहीं अब ……… खुद से मैं गिला करूँ ,
कि क्यूँ ना जा सकी उस चौखट पे ………. जिसे भरम कहूँ ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग चलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
तेरे मयख़ाने में सरगम है ……… वहाँ है हरियाली ,
उसकी चौखट को जो है छू ले ………. वो बन जाए किस्मत वाली ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग भिगो ले ना आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
तेरा मयख़ाने में हर बार जाना मुझे ……… अक्सर करता है परेशाँ ,
कि ऐसा क्या है वहाँ पर ………. जो मैं नहीं दे सकती हूँ तुम्हे यहाँ ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग गिरने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
तेरा मयख़ाना गर है तेरी आज़ादी ……… तो मैं बाँध लूँ बेड़ी ,
कि मैं न पीकर वहाँ बहकूँगी ………. चाहे तू समझ इसे एक पहेली ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग सँभलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।
मैं बनना हरदम चाहूँ तेरी शराब ……… और तेरा एक मयख़ाना ,
जिसमे ख़तम ना हो कभी ………. मेरे इश्क़ का अधूरा अफ़साना ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में ………… अपने संग चढ़ने दे आज ,
जो कुछ है बाकी …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।।
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