This Hindi poem highlights the fun of the beloved in which she was knowingly waiting for her Lover even though they had no such commitment to be unite. But sometimes Her long wait is fulfilled and after appearing he dramatically ended Her wait with some lies.
बस थोड़ी देर के लिए तेरा इंतज़ार …………… करने में मज़ा आता है ,
बस थोड़ी देर के लिए अपना दिल~ ए~ इकरार …………… करने में मज़ा आता है ।
चोरी-चोरी से किए इंतज़ार का मज़ा ………होता ही कुछ और है ,
नज़रें हर पल तेरी राहों पर टिकाने का मज़ा ……… कुछ और है ।
बस थोड़ी देर के लिए तेरा इंतज़ार …………… करने में मज़ा आता है ,
बस थोड़ी देर के लिए अपना दिल~ ए~ इकरार …………… करने में मज़ा आता है ।
तू ना आएगा आज ……… ये इस दिल को मालूम था ,
फिर भी तेरी एक झलक पाने का ……… इन आँखों में एक जूनून था ।
हौले-हौले से इस जूनून को अंजाम देने में …………… मज़ा आता है ,
बस थोड़ी देर और रुक जाने का नशा फिर से …………… क्यूँ छाता है ?
अक्सर टकरा जाते हैं जब ये दिल ……… अचानक से होके बेकरार ,
तो आता नहीं है हमको तब ……… अपनी किस्मत पे फिर ऐतबार ।
तब बनाकर फिर से कोई बहाना तुमसे …………… झूठ कहने में मज़ा आता है ,
बस थोड़ी देर के लिए अपने जज़्बातों को दबाने का …………… फिर नशा और छाता है ।
कभी-कभी सोचा करते हैं हम, कि भाग जाएँ झट से ……… तेरे आने के बाद ,
या फिर समेट लें अपना दामन ……… जो उड़ रहा था बेखबर ,बेहिसाब ।
मगर रोक खुद को तेरे आगे सब कहने में …………… मज़ा आता है ,
तू सुनेगा सब बातें मेरी,ऐसी सोच से ये मन …………… शरमाता है ।
जाएँ भी तो जाएँ कहाँ ……… बता तो ज़रा ओ बेखबर ,
तेरी मस्ती के आगे लगती नहीं अच्छी ……… अब कोई और डगर ।
चोरी-चोरी तेरे संग बँधने में …………… झूठ और सच का साथ ,गरमाता है ,
बस थोड़ी देर के लिए अपना हाल ~ ए~ दिल …………… तेरे सामने पेश करने को जी चाहता है ।
कभी-कभी ये सोचा करते हैं हम ………कि क्या होगा ऐसे इंतज़ार के आगे ?
जब खादिम को ये मालूम ना हो ……… कि उसकी माशूक़ खड़ी है उसके संग बाँधने धागे ।
फिर अगले ही पल हम ये सोच के हँस दें …………… कि खादिम से ऐसी मुलाक़ात में ही तो, मज़ा आता है ,
बस थोड़ी देर के लिए अपने दिल को बहलाने का …………… जब एक वक़्त गुज़र सा जाता है ।।
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