मैं भटकने लगी हूँ ,तुम्हारे बिना …… अपनी मंज़िलों से , अपनी राहों से ,
मुझे बीच राहों में यूँ ना छोड़ो ……… मैं तड़पने लगी हूँ , अब तुम्हारे वास्ते ।
हज़ार अनजान चेहरे आकर के ………. जब करने लगे मुझसे शरारत ,
मैं डरने लगी तब देख के ……… उन चेहरों में तुम्हारे ख्वाब से ।
तुम जैसा कोई भी नहीं ……… जो समझ सके इस फूल को ,
जो खिलता है बंद पलकों में ………. और बंद होता है खुले नूर से ।
मुझे अपनी बाहों में थामों ना आकर के ……… मैं चलने लगी हूँ तुम्हारे साथ में ,
मुझे बीच राहों में यूँ ना छोड़ो ……… मैं तड़पने लगी हूँ , अब तुम्हारे वास्ते ।
मेरे दामन को बेदाग़ बनाकर तुम ……. चले ना जाना कहीं और सनम ,
मेरी हस्ती को अपनी हस्ती में मिला …… मुझे दीवाना ना करना तुम , इस जनम ।
मेरे बहके कदम जब भी करते शरारत ……. तब तुम्हारे क़दमों को भी होती हरारत ,
मस्ती भरे उस आलम में तब …… सपने भी बनते हकीकत के हमसफ़र ।
मैं सम्भलूँ ,गिरूँ ,फिर गिर के चलूँ …… मेरे गिरने में भी हैं तेरे हाथ से ,
मुझे बीच राहों में यूँ ना छोड़ो ……… मैं तड़पने लगी हूँ , अब तुम्हारे वास्ते ।
खामोश लफ़्ज़ों ने तुम्हे है पुकारा ………. थोड़ा सा दिया है तुम्हे एक इशारा ,
अपनी बेबस जवानी में ………माँगा है एक और बेबसी का सहारा ।
कभी तो सुनो मेरी एक ग़ज़ल ……… कभी जुड़ों मेरे दिलों के तार से ,
मेरे भोले से आशिक़ हो तुम ………. जिसके लिए मैं बुनती ख्वाब से ।
मेरे होठों की हँसी को फिर से सँवारों ……… जो गुम है अब तुम्हारे विरह से ,
मुझे बीच राहों में यूँ ना छोड़ो ……… मैं तड़पने लगी हूँ , अब तुम्हारे वास्ते ।
यकीं है मुझे तुम लौट आओगे …… मेरे दामन को फिर से लहराओगे ,
जब थकने लगेगी मेरी जवानी ……… तब बाहों में अपनी तुम सुलाओगे ।
बहकने ना देना मुझे तुम , ओ जानम ……. मैं जीऊँगी ,मरूँगी सिर्फ तेरी याद से ,
तुम रहना सदा ही मेरे करीब ……. ताकि धड़कन चले तेरे नाम से ।
मेरे हाथों को अपने हाथोँ में थाम ……… तुम गुनगुनाना गीत हज़ार से ,
मुझे बीच राहों में यूँ ना छोड़ो ……… मैं तड़पने लगी हूँ , अब तुम्हारे वास्ते ।।
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