This Hindi poem highlights the dilemma of a woman who after an altercation with Her husband was trying to patch-up the issue but as more She thought ,the more she decided that nothing is left in Her heart to reunite the same.
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Hindi Love Poem – Nothing Is Left
Photo credit: carygrant from morguefile.com
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ,
मेरा साया भी तड़पता रहा ……… जल जाने को ।
साथ निभाना था एक लंबा सफर ………. जिसको अधूरा छोड़ दिया ,
तेरी फितरत ने कैसे देख ज़रा ………. मुझसे नाता तोड़ दिया ।
अब ना ढूँढेंगे हम ……… फिर से उन्ही राहों को ,
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
कई सालों तक सहते रहे ……… तेरी हुकूमतों का ये गम ,
अब तो चलते भी हैं ……… तो गिनते हैं हम खुद के कदम ।
अब सिखाएँगे हम फिर से चलना ……… उन्ही क़दमों को ,
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
ज़ख्म ऐसे दिए हैं तूने ……… जिसका कोई मेल नहीं ,
प्यार दिल से होता है ………. ये कोई खेल नहीं ।
अब ना मरहम लगाएँगे हम फिर से ……… इन ज़ख्मों को ,
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
सोचा था शाख बहुत बड़ी है ये …… इस पर झूलेंगे तेरे संग ,
कभी बाहों के हिंडोले में ……… और कभी फूलों के संग ।
पर आज खुद ही गिराने चले हैं ……… तेरी इन शाखाओं को ,
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
लोग कहते हैं कि ये बँधन होता है ………. बड़ा ही गहरा ,
क्योंकि इस पर लगा होता है ………एक विश्वास का पहरा ।
सौंपते हैं इस विश्वास को अब ……… इन लहरों को ,
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
तन से तन का मिलन हो जाएगा भी अगर ……… अब तो क्या ?
मन से मन का मिलन होना ……… बहुत मुश्किल अब है ।
क्योंकि मन ही बनता है साया ……… कसमें निभाने को ,
कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
रोज़ सोचूँ मैं कि जुड़ जाऊँ ………. तेरे संग फिर से ,
इन छोटी-छोटी बातों पर झगड़े का ……… मोल क्या है ?
मगर मेरा साया फिर और भी तड़पता है ……… जल जाने को ,
ये सोच कि कुछ भी बाकी ना रहा अब तो ………. जुड़ जाने को ।
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