पहली नजर मे प्यार! कुछ समय पहले तक मै भी नही मानता था लेकिन कुछ दिनो पहले एक लड़की से मुलाकात हुई और उस कुछ पल के मुलाकात मे न जाने कब दिल खो गया। मै ये नही कहता वो हसीन थी लेकिन उसकी सोच और मिठी सी आवाज ने न जाने कैसा जादू कर दिए।
“न तिर न तलवार से
उनकी नजर के वार से
हम तो धायल हो गए
उनकी भोली सी मुस्कान पे।।”
उस दिन रात भर निंद की तलाश मे करवटे बदलता रह लेकिन आँखे बन्द करते ही कानो मे उसकी मीठी आवाज गूंज उठती थी।
“मै ये नही कहता की पहली बार प्यार हूआ है
लेकिन ये भी सच है ये ऐहसास वर्षो बाद हूआ है।।”
हालांकि ऐसा नही था की पहली बार प्यार हुआ हो लेकिन पहले प्यार के जाने के बाद ऐ एहसास काफी समय बाद हुआ है। अगले पूरे दिन उसी को ढूंढने मे बिता दिया निगाहे थक गई लेकिन वो कही न दिखी। फिर उस रात वो ही बेकरारी, रात भर उस का ख्याल और यही सोचना आखिर ये प्यार क्या चीज है। आज 3 दिन हो गया उसे देखे पर न निंद ही आ रही है न बेकरारी ही खत्म हो रही है बस इसी लिए एक कविता लिख रहा था उम्मीद करता हू आप सभी को पसन्द आएगा।
“चिलमन कि आढ़ ले के
सनम यू रूकसत हुए
बेपनाह मोहब्बत
बेपाक सारी कर गए।
ख्याले गम की कश्ती
निल समन्दर दूर तक
बिच भवर हम फंसे
वो दूर हम से चल दिए।
रूखसार उनका बाखुदा
दीदार रब से कम नही
बन खुदा नवाजी बना
किस ओर को निकल गए।
है ढूंढता ये दिल उन्हे
आवाज देता बार-बार
किसी मूकदर्शक कि भांति
बुत है वो बन गए।
ऐ खुदा होती मोहब्बत
चीज क्या है तू बता
जो मिल गए तो सवर गए
जो न मिले तो बिखर गए।
रहमत है मेरे मालिक तू
दूर है दुनिया कि भीर से
औकात उन की क्या यहा
जो मोहब्बत के सागर मे उतर गए।
अदम से आदमी बनाया कमाल इश्क कर गया
और फिर आदमी से अदम ये चाल कैसा चल गया
न पूछ मुझ से हाल मेरा क्या हुआ है इश्क मे
चैनो-सुकून खो दिया इस दिल्लगी के खेल मे
हाले बया लफ्जो मे कैसे करे तू ये बता
तकिया-ए-आग़ोस ही बस जानती हाल क्या है अब मेरा।।”
–END–