Pain Without You- This Hindi poem highlights the pain of the poetess when Her lover leaves her at the different stages of life with hope of meeting him again.
गुल~ए~गुलिस्तान को बहार बनाकर ,
ख़्वाबों को रेत की दीवार से सजाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
फूलों पर शबनमी बूँदें सजाकर ,
भँवरों को उनके और करीब लाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
महकते जिस्म की बेताब सी बेचैनी बढ़ाकर ,
उसमे दीया दिल के मचलते ज़ज्बातों का जलाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
आँखों में झूठे सपनों को बसाकर ,
अपने अक्स का उन सपनों में दीदार कराकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
उन प्यासे से लबों की प्यास को तड़पाकर ,
हर अधर पर अपने नाम का अक्षर सजाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
कानों में झूलती बालियों को फिर बजाकर ,
कभी अपने कभी मेरे बालों में उन्हें उलझाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
हाथों में पहने कंगनों को उँगली से हिलाकर ,
अपने इश्क की गर्मी का एहसास सा दिलाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
मेरी लचीली सी कमर पर शायरी बनाकर ,
खुद को “शायर” कह ….उस पर अपनी शायरी का रंग चढ़ाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
आकाश में उड़ते पंछियों के सुर समझाकर ,
उस बदलते हुए मौसम के नए गीत गुनगुनाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
हर नदिया और सागर की गहराई को बतलाकर ,
उसमे तैरती हुई अपनी कश्ती की पतवार थमाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
पैरों में पहनी पायल को अपने पैरों से बजाकर ,
पानी से भीगे हुए पैरों को पानी में और डुबाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
अपनी बाहों का हार मेरे गले में पहनाकर ,
उन गर्म बाहों में मुझे थोड़ा और जकड़ाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
मेरे अन्दर जलती आग को शोला बनाकर ,
हर बार उसमे अपने इश्क का दिया जलाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
जिंदगी हकीक़त से भरा एक आइना है ,
उस आइने की अपनी कुछ परछाई मेरे जीवन में लाकर ,
जब तुम चले जाते हो तब ,
बहुत दर्द होता है यारा ।
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