This Hindi poem highlights the Love of Monsoon in which the beloved was eager to get an intimacy with Her Lover in that rainy season and so She was calling Him from Her voice of heart.
सावन में पुकारें तुम्हे …………. आओ ना , आओ ना ,
बादल और बदरा बनके ………. छाओ ना , छाओ ना ।
सावन में अक्सर होती हैं ………. प्यार की मुलाकातें ,
दो तड़पते से दिलों की ………. प्यार भरी बातें ।
सावन देखो इस साल ………बहुत देर से आया है ,
मगर फिर भी प्रेमी दिलों को …………. जोड़ने आया है ।
सावन में पुकारें तुम्हे …………. आओ ना , आओ ना ,
बादल और बदरा बनके ………. छाओ ना , छाओ ना ।
टप-टप सी सावन की बूँदें ………. कानों में शोर सा करती हैं ,
तेरे क़दमों की आहट सुनने को ……….बेताब सा करती हैं ।
तू दौड़ कर आ जा दिलबर ……… मुझको गले से लगा ले ,
इस साल इस सावन में …………. अपना तन कर मेरे हवाले ।
सावन में पुकारें तुम्हे …………. आओ ना , आओ ना ,
बादल और बदरा बनके ………. छाओ ना , छाओ ना ।
ये सावन था बड़ा ही प्यासा ………. कब से बरसने को ,
अपने संग सब प्रेमी दिलों के ………. ताप हरने को ।
अब बरसा है जो जमके ……… तो इसकी कदर करो ना ,
मेरे प्यासे मन के …………. सब सपने पूरे कर दो ना ।
सावन में पुकारें तुम्हे …………. आओ ना , आओ ना ,
बादल और बदरा बनके ………. छाओ ना , छाओ ना ।
अंग-अंग की गर्मी को चल ………. इस सावन में आज बुझा लें ,
कभी भीग लें पानी में संग ………. कभी काँधों से सरका दें दुशाले ।
ये सावन आज गवाही देगा ……… हम दोनों के अनोखे मिलन की ,
जिसमे भीगे दिल कहेंगे …………. अपनी कथाएँ बेशर्मी की ।
सावन में पुकारें तुम्हे …………. आओ ना , आओ ना ,
बादल और बदरा बनके ………. छाओ ना , छाओ ना ।
सूखा करके इस सावन को ………. इस बार ना जाने दूँगी ,
तुम्हारे संग जीने की ख्वाइश में ………. बादलों को मैं रोक लूँगी ।
वो बरसेगा फिर तब ही ……… जब तुम आओगे मेरे द्वारे ,
या बिन बरसे ही फट जाएगा …………. जब भी हम साँसों में तुम्हे पुकारें ॥
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