शब्द कम पड़ जाते हैं (Shabd kum pad jate hain)- Its a Hindi poetry for someone special to my heart. Author is narrating his love and affection towards his love . But he is felling short of words to describe it.
अब मैं भला तुम पे क्या लिखू कैसे लिखू ,मेरे तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं !!
जब जब भी गुजरता हु तेरी गलिओं से , मेरे पाँव खुद बा खुद ठहर जाते हैं !!
लिखता तो मैं पहले भी था, पर तब मेरी लेखनी में शब्दों की कमी तो नहीं होती थी।
तब तुम्हे खोने का डर तो ना होता था ,मेरी आँखों में नमी भी तो नहीं होती थी !
जब जब भी होता नहीं दीदार तुम्हारा, ये पल ये लम्हे मानो ठहर जाते हैं !!
अब हाल-ए -दिल किस तरह बयां करू ,मेरे तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं !!
खता है बस तुम्हारी इस बेपनाह खूबसूरती का,वरना हुस्नवाले तो पहले भी हुआ हुआ करते थे !
शमा तो पहले भी रोशन हुआ करती थी, परवाने तो पहले भी जला करते थे!
मेरे जलने की दास्ताँ तुम्हे कैसे सुनाऊ , मेरे लफ्ज दिल की गहराईओं से बाहर कहाँ आ पाते हैं !!
अगर बमुश्किल हिम्मत भी जुटा लू , इन्हे बयां करने में मेरे तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं !!
मुझे आज भी याद है उस पहली मुलकात का दिन , जब तुम से नजरें मिली थी तो तुम शरमाई थी !
तब गुजरी जो थी तुम मेरे पास से , तुम्हारी धड़कनो की आहट मेरे कानो तक आई थी !
कैसे परिभाषित करू तुम्हारी उस मुस्कराहट को , की हर विशेषण ही मानो फीके पर जाते हैं !!
अब मैं भला तुम पे क्या लिखू कैसे लिखू ,मेरे तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं !!
वो तुम ही तो थी जिसने खुश्बू बनकर कभी मेरे जीवन की बगिया को महकाया था !
हाँ वो तुम ही थी जिसने अपने नूर से मेरे वीरान अँधेरे दिल को जगमगाया था !
तुम कही रूठ न जाओ कभी तुम दूर न जाओ ,बस इसी डर से हम अक्सर घबराते हैं !!
अब मैं भला तुम पे क्या लिखू कैसे लिखू ,मेरे तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं !!
मेरा क्या है कल भी लिखता था कल भी लिखता रहूँगा ,अपने शब्दकोष में नए नए शब्द भरता रहूँगा
तुम बस बन के रहना मेरी प्रेरणा ,जब कभी कदम डगमगाएं तो बस मेरा साथ देना
बस इतनी सी ही तो है बात , जो हम जाने क्यों कहने से कतराते हैं !!
अब मैं भला तुम पे क्या लिखू कैसे लिखू ,मेरे तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं !!
___कभी अलविदा न कहना___
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