In this Hindi poem the poet is saying that she is so sensitive in nature that only existence of her lover in the thoughts made her crying. Though the lover is not physically present at that time
देख तेरे सिर्फ “वजूद” ने हमें आज ……..फिर से रुला दिया ,
अभी तो “तू” सामने ना आया ……और हमें इतना भिगा दिया ।
सोच रहे हैं हम यूँही …….क्या होगा गर “तुम” किसी रोज मिले ?
ना “लब” हिलेंगे तब मेरे ……तुमने दर्द इतना बढ़ा दिया ।
हाँ , हमने दिल लगा लिया तुमसे …..ना जाने क्यों इतना ?
अभी तो दिल तुमने माँगा नहीं ……और हमने धडकनो पर ताला लगा लिया ।
देख तेरे सिर्फ “वजूद” ने हमें आज ……..फिर से रुला दिया ,
अभी तो “तू” सामने ना आया ……और हमें इतना भिगा दिया ।
वो लम्बी रातों का सफ़र ……हम जब भी तुम संग पार करते हैं ,
उस एहसास की सिर्फ गर्मी से ही …..तुमने ये जिस्म पिघला दिया ।
तेरा सिर्फ साथ …..तेरी हर बात …..हमें बेचैन करती है ,
अभी तो कह नहीं पाए हैं कुछ …..और कानो को सुनना आ गया ।
देख तेरे सिर्फ “वजूद” ने हमें आज ……..फिर से रुला दिया ,
अभी तो “तू” सामने ना आया ……और हमें इतना भिगा दिया ।
वो चेहरे की “हँसी” जब याद कर ….हम तन्हाई में हँसते हैं ,
तेरे उस चेहरे को ही देख ……हमें अब जीना आ गया ।
वो नम पलकें …..वो अश्कों की बूँदें …..जब गालों को भिगोती हैं ,
हमें तेरी कसम …..खुद अपने “वजूद” पर तरस सा आ गया ।
देख तेरे सिर्फ “वजूद” ने हमें आज ……..फिर से रुला दिया ,
अभी तो “तू” सामने ना आया ……और हमें इतना भिगा दिया ।
वो तेरे “हाथों” की लकीरें ……हम अक्सर ढूँढते हैं ….जब खुद के हाथो में ,
खुदाया माफ़ करना जो हमें ….. तुझे पाने का ….एक जूनून छा गया ।
ना जाने कौन सी वो “डोर” है …..जिसमे हम-तुम लिपट गए ,
जब भी उसे तोड़ना चाहा …….तो उसमे और एक “बल” सा आ गया ।
देख तेरे सिर्फ “वजूद” ने हमें आज ……..फिर से रुला दिया ,
अभी तो “तू” सामने ना आया ……और हमें इतना भिगा दिया ।
ये कैसा “इश्क” कर बैठे हैं हम …..जिसकी उम्र है ही नहीं ?
मौत ढूँढेंगे गर अब इसमें कभी ….तो मौत को भी रुकना आ गया ।