This Hindi poem highlights the Love of an Extra-Marital Affair in which the beloved only remembers Her Love again and again.
आज फिर से तुम्हे याद किया ……… बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।
खुदगर्ज़ी मेरे अंदर की ………. जब बेइन्तिहाँ सताने लगती है ,
जब मज़बूर होकर तन्हाईयाँ ये ……… तुम्हे बुलाने लगती हैं ।
आज फिर से तुम्हे याद किया ……… बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।
तुम्ही तो थे जिसने थामा था ……… अक्सर तन्हाई में मेरे जज़्बातों को ,
तुम्ही तो थे जिसने सुलझाया था …… अक्सर तन्हाई में मेरे सवालों को ।
फिर क्यूँ ना करूँ याद तुम्हे ……… यूँ बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।
मैं इस फँसी हुई दलदल से ………. तेरा हाथ थाम बाहर निकल आती हूँ ,
मैं एक मरती हुई आशा में ……… तेरा हाथ थाम अक्सर मुस्काती हूँ ।
आज फिर से तुम संग मुस्काने को ……… बर्बाद किया खुद को बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।
अपने हाथों से छूकर मैंने ………. महसूस की तेरे एहसासों की चुभन ,
अपने जिस्म में तेरी तपिश भर ……… दोहराई मैंने तेरे मन की तपन ।
ऐसे ही चाहती हूँ मैं ……… इस तपिश की गर्मी बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।
तुम आते आज गर मीत बनके मेरे ………. तो दिखाती तुम्हे अपने सीने की जलन ,
तुम आते आज गर संगीत बनके मेरे ………. तो बुझाती तुम्हारे जलते मन की तपन ।
मगर ये जिस्म जला यूँही ……… तुम्हारे बिना बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।
मैं कहना चाहूँ जो रोज़ तुमसे ………. वो लफ्ज़ मेरे क्यूँ मर से जाते हैं ?
मैं पाना चाहूँ जो साथ तुम्हारा ………. उस साथ में ये अरमान ठहर से क्यूँ जाते हैं ?
इन्हीं अरमानों की कसम को मैं ……… सहेजती हूँ बार-बार , हज़ार बार ,
आज फिर से दिल ने याद किया …… तुम्हारा प्यार , सिर्फ तुम्हारा प्यार ।।
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