Love poem in Hindi beautifully narrates a love dilemma. A lover teases & then pursues her love. She knows his wishes & feels shy by remembering them.
तन्हाई में हम सोच रहे हैं ……कैसे तुमको मनाएँ ?
हाय ……कैसे अगन लगाएँ ……और कैसे तुमको रिझाएँ ?
तुम रूठ के कहते हो अक्सर …..हम “दोस्त” नहीं हैं तुम्हारे ,
फिर कैसे दोस्ती समझाएँ ……और कैसे उसे निभाएँ ?
तुम्हे चाहत है जिस अगन की देखो ……..उस पर जोर नहीं है हमारा ,
हमने सब कुछ तुम पर हारा ……ये दिल भी तुम पर वारा ।
बस शर्तें तुम्हारी मान नहीं सकते …..ऐसी सोच से हम घबराएँ ,
बोलो कैसे अगन लगाएँ …….और कैसे उसको बुझाएँ ?
तुम तृष्णा के हो अभिलाषी ……हम सोच के ये मुस्कुराएँ ,
और दिल ही दिल शरमाएं ……पर कैसे उसे मिटाएँ ?
तुम रूठ के जब मुस्काते हो ……तब और करीब आ जाते हो ,
दो पल के झूठे गुस्से से ……हमें और तड़प दे जाते हो ।
हम तन-मन तुम पर हार चुके ……अब बस इज्ज़त देने से घबराएँ ,
सोचो फिर कैसे अगन बुझाएँ ……..और कैसे आस घटाएँ ?
तुमको छल से पाना नहीं ……..फिर क्यूँ छल की सोच गहराएं ,
तुम्हारे और अपने रिश्ते में …..क्यूँ छलिया बन के पाप कमाएँ ?
तुम कहते हो वही दिल है तुम्हारा …..जो सबके पास समाए ,
फिर भी सबसे ज्यादा तुम अलग हो ……ये मेरी धड़कन कहती जाए ।
तुमसे ज्यादा हम तड़पे ……….फिर भी अपने चित में कहीं समाएँ ,
अपनी तृष्णा को ठंडा कर ………तेरे संग मंद-मंद मुस्काएँ ।
कभी ख्यालों में …..कभी यादों में ……तुम्हे अपनी बाहों में लिपटाएँ ,
कभी नागिन बन के तुम्हे …….सपनों में डस जाएँ ।
हर अधूरी ख्वाइशों को ……..तुम्हारे पास छोड़ जाएँ ,
बोलो फिर भी गुनाहगार हैं क्या हम ……जो तुम्हारी आरज़ू में दिन और रात गंवा जाएँ ।
जानते हैं तुम्हारी ख्वाइशएँ ………हमें और जवान कर देंगी ,
बस तभी उन ख्वाइशों को …..तुम्हारे कहने से पहले नाकार जाएँ ।
तन्हाई में हम सोच रहे हैं ………न जाने कब तक ……तुम्हारा साथ निभाएँ ?
तुम्हे रूठा छोड़ कर ……हम फिर से तुम्हे पाने की आस में ………रोज़ जीते जाएँ ॥
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