In this Hindi poem The poetess describes the various feels when His Lover comes and admit that Her words also got Hot when He came.
धुआँ-धुआँ सा क्यूँ उठता है …….तेरे आने से ?
मैं तुझको दीवानों की तरह ……अपने दिल में बसाने क्यूँ लगी ?
देख मेरा नक़्क़ाब फिसलता है ……तेरे आने से ।
सुर्ख होठों की दमक …..और भी सुर्ख होने लगी ,
कभी शबनम ,कभी मय की बूंदों से ……घिरने लगी ,
देख मेरे लब मचलते हैं …….तेरे आने से ।
मेरे इस चेहरे की नूरानी सी ……रंगत की चमक ,
आँखों में दो जाम के प्यालों का “नशा” …….ऐसे बहक ,
देख मेरा दिल मचलता है ……..तेरे आने से ।
धड़कने धड़क के कहें ……तू आजा एक बार “साहिब” ,
ये बिस्तर जल जाए …….इतना तू कर प्यार “साहिब” ,
देख मेरे अरमान पिघलते हैं ……..तेरे आने से ।
दुपट्टा तन से हटने की करे ……लाखों कोशिश ,
मैं सम्भालूँ जितना …….वो भरे और भी मुझमे ……नई सी एक तपिश ,
बढ़ गई ……नए सवालों के जवाबों की कशिश ….तेरे आने से ।
जी तो चाहता है ….कि तू जितना कहे ……उससे कहीं ज्यादा ,
भर लूँ ….अपने जीवन में नए रंग ……करके प्रेम आधा ,
मेरे सब रंग-रूप मचलते हैं ……..तेरे आने से ।
तूने तो हसरतें ऐसी बढ़ाईं ……कि उनमे तू शामिल होकर ,
रोज़ आए मुझसे मिलने ….मेरा “खादिम” बनकर ,
नज़र-नज़र में ये दिल घबराए …..तेरे आने से ।
हर दिन दिवाली …हर रोज़ होली …..की बधाई देकर ,
तू चला जाता है …….मेरे सपनो की नींदें लेकर ,
मैंने कितने नए ख्वाब सजाए हैं ……..तेरे आने से ।
बहुत भोला सा है …..ये मेरा दिल ……कभी इसको समझना ,
रोज़ अरमानो को दफ्न करता है ……पढ़कर तेरा वो हाल~ए~दिल का कलमा ,
खुद को खुद से ही चुरा ले जाए ये मन ……तेरे आने से ।
धुआँ-धुआँ सा एक दिन उठकर ……बन जाएगा एक राख ,
फिर भी नहीं जलें होंगे देख उसमे …….तेरे-मेरे हज़ार ख्वाब ,
मेरा हर अंग पिघलता है रोज़ ….सच में ……तेरे आने से ।
ठंडे पानी से भी अब …..ना बुझ पाती है ….वो तूफानी सी अगन ,
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी ….चुभती है वो अगन ,
ज़र्रा-ज़र्रा सा बन जाए ये बदन …..तेरे आने से ।
दिल~ए~ नादान जब बेकाबू होकर …….कुछ कहने को मचले ,
लिख कर अपना फ़साना यहाँ …….मैं दिल को थामूँ ,
मेरा लिखा हर “शब्द” गरम हो जाता है देख ……..तेरे आने से ॥
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