
Hindi Love Poem – Tere Shehar Ki Koyal
Photo credit: greyerbaby from morguefile.com
तेरे शहर की कोयल , मेरे शहर की कोयल को  ……. देखो ना , कैसे बुलाती है ?
अपनी मीठी सी कूह-कूह से , हम दोनों के कानो में  …… एक रस घोल जाती है ।
एक एहसास बागों का , इसने इस मन में  …… ऐसा था गहराया ,
तेरे साथ शामों का , एक सपन अँखियों में  ………. नदिया सा लहराया ।
तेरी कोयल की कूह-कूह , देखो ना  ……. मुझे कैसे तड़पाती है ,
अपने बागों की कोयल के गीत सुन  …… ये तेरी याद दिलाती है ।
तेरे शहर की छुक-छुक , गाडी की सीटी  ……. देखो ना , कैसे बुलाती है ?
अपने इंजन की आवाज़ से मुझे , रातों में  …… अक्सर डराती है ।
जब भी मैं अपने शहर में , तेरे शहर की  …… कोई आवाज़ सुनती हूँ ,
तब मुझे तेरे ना होने की कमी  , यहाँ पर   ………. और तकलीफ दे जाती है ।
तेरे बगीचे का वो आम का पेड़  , गर्मियों में  ……. तेरी याद दिलाता है ,
तेरे खट्टे-मीठे से स्वाद को  , चखने की तड़प से  ……  मुझे कितना तड़पाता है ।
तेरे शहर की हर खबर , मेरे शहर में  ……  जब भी गूँज जाती है ,
बिन गए ही वहाँ कभी , तेरे शहर को   ………. मेरे करीब लाती है ।
तेरे शहर में भी बनती दिवाली  ……  होते हैं होली के वो रंग ,
ये सोचकर अक्सर  भीग जाते , मेरी चुनरी से ढके  ………. मेरे ये अंग ।
तेरे शहर से नहीं , सच कहूँ तो  ……  तुझसे है मैंने दिल लगाया ,
तभी तो तेरे शहर का , हर कतरा-कतरा   ………. देखो ना , मुझे यूँ भाया ।
तेरे शहर की कोयल एक बहाना  ……  तेरे शहर के इंजन की सीटी भी एक बहाना ,
दरअसल तेरे शहर की खुशबू से ही  ………. मैंने तुझे है पहचाना  ।
मैं इतनी दूर से , तेरे हर एहसास को  ……  समझती हूँ यहीं ,
क्या ये सच नहीं , कि मैं मरती हूँ तुम पर  ………. शायद कहीं ।
तुम अपने शहर की कोयल को , अबकी बार …… ये सन्देश देना ,
कि वो अपनी कूह -कूह से , मेरे शहर को भी   ………. तुम्हारे संग कहीं रँग देना ।
तेरे शहर की कोयल , मेरे शहर की कोयल को  ……. देखो ना , कैसे बुलाती है ?
अपनी मीठी सी कूह-कूह से , हम दोनों के कानो में  …… एक रस घोल जाती है ॥
***
