This Hindi poem highlights the importance of Love in which a beloved feel that all the events of Her Life benefited Her at every step only due to the Love which She received from Her Lover.
तुम्हे बिठाकर आसमान में …….हमें धरती पर चलना आ गया ,
फूलों के संग काँटों की चुभन का …….दर्द भी अब भा गया ।
नादान और भोले से थे हम जिसने ……..अब तक कड़वाहट को ही गले लगाया था ,
तुमने जो सिखाया ना होता ……तो मीठे के स्वाद से परे खुद को पाया था ।
डर लगता था जिन सब अठखेलियों से पहले ……..अन्धकार में आँखें मूँद ,
अब उसे ही खुली आँखों से देख ……खो जाती हूँ कहीं मैं खुद को भी भूल ।
सच कहते थे तुम ये हमसे ……कि बिन डूबे सागर में तैर ना पायोगे ,
ठंडी-ठंडी लहरों से बोलो ……सूरज को कैसे गर्म बनायोगे ?
तुम्हे बनाकर सूरज देखो ……….अब तपना हमको आ गया ,
सर्द ऋतु के मौसम में भी ……गर्म ऋतु के थपेड़ो की तपन लगा गया ।
तुम हमारे जीवन में क्या आए …..हम बदले-बदले से रहने लगे ,
कल तक जो मन में दबता था …….वो सब तुमसे अब कहने लगे ।
पाकर तुम जैसा एक साथी निराला ……हमने भी चख लिया प्रेम का प्याला ,
कल तक जो हँसते थे हम पर …….अब उनकी जुबां पर भी लग गया ताला ।
प्रेम एक ऐसा एहसास है मीठा …..जिसकी कृपा जिस पर भी हो जावे ,
आँधी हो या हो तूफ़ान ……..उसे चेहरा सिर्फ “यार” का ही भावे ।
तुम्हे बनाकर बादल अब ……बरसना हमको आ गया ,
सूखे में भी खेतों में ……नयी फसल का बीज लगा गया ।
ये कैसा रिश्ता है ना जाने ………जो नई डोर में बंध मुस्का गया ,
आधा-अधूरा मगर फिर भी पूरा …….अपना किस्सा हमको भा गया ।
जितनी कसमें उतने वादे ……और बिन वादों के भी जीना आ गया ,
यही तो है ये अनोखी मोहब्बत ……जिसमे बिन पिए ही “नशा” छा गया ।
अपनी हर कामयाबी पर हमको ……तुम पर और प्यार आ गया ,
तुम मेरे नसीब हो जीवन के ……जिसने हर नई राह में दीपक जला दिया ।
तुम्हे बसाकर अपने दिल में ……धड़कनो को भी धड़कना आ गया ,
कभी धक्-धक् कभी टिक-टिक की ध्वनि को भी …….देखो परखना आ गया ॥
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