तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है ,
कभी धड़कता है ………. कभी धड़कने के ……… बहाने ढूँढ लाता है ।
मैं खामोशी से ……… तुम्हारे कहे हुए ……… हर शब्द को जब सुनती हूँ ,
तो मन ही मन में ………. ये दिल मेरा ………. तुम्हारे और करीब आता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
तुम पूछो या ना पूछो ………. मगर यहाँ भी …………. एक दर्द तो होता है ,
उस दर्द में ………. तुम्हारे साथ जीने का ……… तब और मज़ा आता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
लबों को लबों पर रखने की ……… एक चाह से ……… जब ये दिल मचलता है ,
तुम्हारा इशारा पाने को ………. तब ये लब ………. अपना रस यूँ ही टपकाता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
हाथों को बहुत रोकती हूँ ………. मगर ये हाथ …………. वहीँ फिसल से जाते हैं ,
कुछ कहने ………. करने की चाहत में ……… तब ये दिल मचल सा जाता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
तुम्हे अगन की तलब ……… अगर होती है ……… तो ये कोई गुनाह तो नहीं ,
मुझे अपनी अगन को ………. तब बुझाने का ………. एक नया तरीका और भाता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
सपनो में जीने वाले ओ ………. कभी हकीकत में गर …………. जब तुम यहाँ आते हो ,
तो हर सपने की ख्वाइश लिए ……….मेरा हर सपना ……… तब शरमाता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
दिल को अपने बहुत ……… समझाती हूँ मैं ……… कि मत भागो ऐसी चाहत के लिए ,
मगर ये दिल ………. हर बार तुम्हारी ………. चाहत में ही डूब जाता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
उस अजीब का कोई नाम नहीं ………. मैं खुद उस अजीब में …………. फँसी सी जाती हूँ ,
लाख सँभालने पर ………. ये दिल तब भी ……… तुम्हारे ही गीत गाता है ।
तुम्हे पता है ………. तुम्हारे आने पर …………. ये दिल अजीब सा हो जाता है …………
मैं शब्दों से तुम्हे ……… जो कह ना सकी ……… उनके अर्थों को तुम समझना ओ सनम ,
कि हर बार तुम्हे ………. समझाने की ख्वाइश में ………. ये दिल यूँ ही चुप सा हो जाता है ।।
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