This Hindi poem highlights the feel of a beloved, in which she was confused to think that what is precious in her Lover due to which she always prefer his company and later she admitted that whatever be Her Lover has that all is enough for Her to make a bond with Him.
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं अक्सर भीग जाती हूँ ,
कभी दुपट्टे से कभी तकिए से ………अपने दामन को छुपाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं तुम्हे अक्सर अपने ख्यालों में लाती हूँ ,
कभी दिन में कभी रात में ……… अपने चेहरे को हाथों से छुपाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं खुद को ना रोक पाती हूँ ,
कभी तन्हाई में कभी भीड़ में …… तुमसे मिलने को छटपटाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं मछली बन जल में उतर जाती हूँ ,
कभी लहरों में कभी भँवर में ………खुद को डुबा कर सुकून पाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं नागिन सी लिपट जाती हूँ ,
कभी पेड़ों पर कभी धरती के अंदर समा कर ……… सिहर जाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं कटी पतंग बन कर कहीं गिर जाती हूँ ,
कभी डोर के कभी बिन डोर के ……अपनी किस्मत पर इतराती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं तुम्हारे साथ से ही शरमाती हूँ ,
इन नैनो में सपनों को क़ैद करके ………तुम्हारा चेहरा अपने अंतर्मन में लाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं अक्सर बहक जाती हूँ ,
कभी तुमको कभी खुद को ना रोक पाने की बेबसी पर ………और ज्यादा झुँझलाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मुझे खुद से ही खींच लाता है ,
बिना तुम्हारे इशारे के ही ……… तुम्हारे मन की चाहत को समझ जाता है ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं तुम्हारी बातों में आ जाती हूँ ,
एक ठंडी सी हवा की भाँति तुम्हे सुकून देने को ………अपने मन को कहीं समझाती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ……….जो मुझे अक्सर परेशान करता है ,
तुम्हारी ही तरह मुझे भी ………कई सवालों से घेरे रखता है ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं हर नादानी को गले लगाती हूँ ,
एक आग से खेलने की हिमाकत करके ……… बाद में पछताती हूँ ।
तुममे ऐसा क्या है ………. जो मैं खुद ही नहीं समझ पाती हूँ ,
पर तुममे ऐसा जो कुछ भी है ………उसी कुछ को मैं अपने साथ ………. हर बार जोड़ जाती हूँ ।
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