तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ,
बड़ी मुश्किल से ……फिर अपना दामन बचाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
हर अदा पे तुम्हारी …… तुम्हारी हर अदा पे ,
ये दिल बहुत घबराया ,
कहीं बहक ना जाए …… हमारे अरमानों का साया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
हम रोज़ मिलने आते …… तुमसे रोज़ मिलने आते ,
और मन ही मन घबराते ,
फिर छोड़ अपने दामन को …… तुम्हारे और करीब ये दिल आया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
तुम देते कसमें …… हमें देते तुम कसमें ,
अपनी मोहब्बत की ,
दामन को तब समेट हमने …… तुम्हारी कसमों को निभाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
खुलता था जब दामन …… हमारा खुलता था जब दामन ,
बढ़ती थी तब धड़कन ,
कस-कस के उस दामन को तब …… हमने तुमको कहीं और बहकाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
दाग लगने से रह जाता …… रह जाता बेदाग़ ये दामन ,
जब तुम करीब आते थे ,
दामन ने तब सिर्फ भीग के …… हमारी मस्ती को छलकाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
तुम रूठ जाते ………. रूठ तुम तब जाते ,
जब हम ज़िद पे थे अड़ जाते ,
देकर तब तुम्हे नई सीख …… हमने दामन को कहीं छुपाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
हम संभलते जाते …… तुम्हारे संग संभल और जाते ,
तुम तड़प के रह जाते ,
दामन को हमें सौंप तब …… तुमने अपना फ़र्ज़ निभाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
उस आग का क्या करें …… क्या करें उस आग का ,
जो लगी थी दामन जलाने को ,
दामन को तब अपने तन से लिपटा …… ये मन धीरे से मुस्काया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ………
इस बेदाग़ मोहब्बत का …… हाँ , इस बेदाग़ मोहब्बत का ,
किस्सा अजीब है ,
जिसने दामन पर ही सिमट के …… हमारा भी एक फसाना बनाया ।
तुमसे दिल लगाया ……. तुमसे ये दिल लगाया ,
बड़ी मुश्किल से ……फिर अपना दामन बचाया ।।
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