This Hindi poem highlights the pain of a beloved who is waiting for Her Lover and each step of Her seems to be heavy due to wait but still she bore the same. But as Her wait , didn’t end she bore Her last steps in a huge distress.
तेरे इंतज़ार की कसम …… दो कदम लगे दस कदम ,
फ़िर भी दिल जाने क्यों कहे ……… बढ़ और तू दो कदम ।
हर कदम पर दम निकले ……… तेरी आस में भीगे मन ,
बढ़ चलूँ मैं पाले भरम ……… कुछ और भारी कदम ।
तेरे इंतज़ार की कसम …… दो कदम लगे दस कदम ,
फ़िर भी दिल जाने क्यों कहे ……… बढ़ और तू दो कदम ।
तेरा साथ पाने को तन ………. जल रहा है कब से सजन ,
बार-बार तेरे लिए ……… रुक के गिनता अपने कदम ,
हर कदम पर दम निकले ……… मेरी साँसों में है एक अगन ,
बढ़ चलूँ मैं पाले भरम ……… कुछ और भारी कदम ।
तेरे इंतज़ार की कसम …… दो कदम लगे दस कदम ,
फ़िर भी दिल जाने क्यों कहे ……… बढ़ और तू दो कदम ।
तू मिलेगा मुझे यहाँ ……… ऐसी सोच से धड़के ये मन ,
हर बार फिर पलट के ……… आवाज़ देता तुझे ये सनम ,
हर कदम पर दम निकले ……… जब ना पाती तेरी कोई तपन ,
बढ़ चलूँ मैं पाले भरम ……… कुछ और भारी कदम ।
तेरे इंतज़ार की कसम …… दो कदम लगे दस कदम ,
फ़िर भी दिल जाने क्यों कहे ……… बढ़ और तू दो कदम ।
कई बार तेरे लिए …………. रुक-रुक के देखे सपन ,
हक़ीक़त में मिलेगा तू यहाँ …………तब कहूँगी तुझसे सारे राज़ दफ़न ,
हर कदम पर दम निकले ……… जब ना आता तू सुनने सपन ,
बढ़ चलूँ मैं पाले भरम ……… कुछ और भारी कदम ।
तेरे इंतज़ार की कसम …… दो कदम लगे दस कदम ,
फ़िर भी दिल जाने क्यों कहे ……… बढ़ और तू दो कदम ।
तेरा इंतज़ार हुआ ख़तम …… अब तो जाना ही पड़ेगा सनम ,
आज फिर ना आया तू देने तपन ……… भारी-भारी सा है अब मेरा मन ,
हर कदम पर दम निकले ……… लगा काँटों से बिछा एक शयन ,
बढ़ चलूँ दे भरम को तपन ……… ना जाने कितने ही बाकी कदम ।
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