This Hindi poem highlights the Love of two Lovers in which both engage in physical contact with a mutual understanding and enjoy for the same. Here the beloved try to pass the test of sincerity which Her Lover took.
वो मेहरबाँ मुझसे मेरे हुस्न के दीदार का ………. फरमान करे ,
मैं खुशनसीब उसे अपने जिस्म की ग़ज़ल का रंग …… पेश करूँ ।
वो हौले-हौले से मेरे दीदार में ………. एक नूर भरे ,
मैं आहिस्ता-आहिस्ता से उसकी चाहतों में ………. खुद को नीलाम करूँ ।
इश्क़~ए~ सौदेबाज़ी का रंग जब चढ़ता है ………. परवान पूरा ,
उसकी जान और तब मेरा दिल …… बहक से जाते हैं ।
वो मेहरबाँ मुझसे मेरे प्यार के इम्तिहान का ………. फरमान करे ,
मैं खुशनसीब उसे अपनी वफ़ाओं की तस्वीर का रुख …… पेश करूँ ।
वो छनता-छनता सा जिस्म मेरा ………. उसे और करीब ले आया ,
मैं बहक-बहक के उसकी हर उम्मीद को ………. और पूरा करूँ ।
दिल ~ए~ नादान अब संभलता ही नहीं ……… कितना भी सम्भालूँ ,
उसने और मैंने अब और मदहोश होने की …… एक कसम खाई है ।
वो मेहरबाँ मुझसे मेरे मदहोश होने के इख़्तियारनामे का ………. फरमान करे ,
मैं खुशनसीब उसकी हर ख्वाइश की नज़्म को …… नज़रबंद करूँ ।
वो गर्म-गर्म सी साँसें उसकी और मेरी ………. मिलने को बेताब हैं ,
मैं सहमी-सहमी सी उन साँसों को ………. अपने संग चलता सा महसूस करूँ ।
अफ़साना ~ए~ अधूरा सा अब पूरा होने की ……… जागीर बना ,exam
उसने और मैंने अब एक-दूसरे में समाने के …… फ़ैसले को अंजाम दिया ।
वो मेहरबाँ मेरे फ़ना होने की नीयत के फ़ैसले का ………. सम्मान करे ,
मैं खुशनसीब अपने फ़ना होने की रज़ामंदी पर और …… फक्र करूँ ।
वो लहक -लहक के मेरे और करीब आने को ………. मचलता सा रहे ,
मैं बहक-बहक के उसकी तरंगों को ………. और रंगीन करूँ ।
क़िस्सा ~ए~ इश्क़ ये यहीं पर ना ख़त्म ……… हुआ अपना ,
उसने और मैंने अब इस किस्से को सच करने की …… क़सम खाई है ।
वो मेहरबाँ अब हर रोज़ मेरी वफ़ाओं का ………. नया इम्तिहान लेता ,
मैं खुशनसीब उसके हर इम्तिहान में रोज़ …… खरी उतरुँ ।
वो मेहरबाँ मुझसे मेरे हुस्न के दीदार का ………. फरमान करे ,
मैं खुशनसीब उसे अपने जिस्म की ग़ज़ल का रंग …… पेश करूँ ।।
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