This Hindi love poem describes the thoughts of a beloved in which She wrote about those moments that She spent with Her Lover.
कहीं से कागज़ ,कहीं से ले कलम उधार ……… हम फिर से लिखने बैठे ,
उन्हीं बातों को , उन्ही ख्यालों को ………… जो तुझे कभी तन्हाई में थे कह बैठे ।
आज वक़्त नहीं है तेरे पास ………. मेरी तन्हाई में आने का सितमगर ,
तो क्या हुआ , हम तब भी तुझे ………. अपनी तन्हाई में , फिर से जोड़ बैठे ।
तूने हर बार हमसे , वादों को ना निभाने की ……… अर्ज़ी जो कभी की थी ,
देख आज हम तेरी अर्ज़ी को पारित कर ………… उस पर एक मोहर लगा बैठे ।
तूने उस वक़्त हमारा हाथ था थामा ……… जब हम बेज़ार हो चुके थे ,
आज बन गुलज़ार तेरी चाहत से हम ………… तुझ पर फक्र फिर कर बैठे ।
ये ज़िंदगी है दो दिनों की ………. इसमें किसी के साथ का क्या है कोई मोल ?
बस जितने भी पल संग जिए थे ………. उन्हीं पलों को हम एक तस्वीर बना बैठे ।
तूने हिम्मत थी हमें जो दिखाई ……… उसका करना है तुझे शुक्रिया ,
तेरी उस हौसला अफ़ज़ाई को अब अपने दिल की ………… हम एक ताक़त बना बैठे ।
तेरी सोच को अपनी सोच से मिला ………. कर दिया है अब हमने हँगामा ,
आज उसी हँगामे में तुझे याद करके ………. हम फिर से लिखने बैठे ।
तेरा साथ हो या ना हो मगर ………अब तू हर कदम साथ ही चलता है ,
तेरे संग अब अपने क़दमों को मिला ………… हम तेरे कद को नापने बैठे ।
हम किस्से , कहानियों में डूब अक्सर ………. तुझे बहुत याद किया करते हैं ,
और फिर याद आने पर तुझे अपनी कहानियों का ………. हर बार “नायक” हैं बना बैठे ।
तुझ पर लिखना कुछ भी हमें ………बहुत अच्छा लगता है ,
तभी तो देख तेरी-मेरी मुलाक़ातों को ………… हम हर बार एक कहानी बना बैठे ।
कहानियों का अंत अक्सर ………. बहुत सुखद सा होता है ,
हम भी अपने सुखद अंत का ………. एक नया प्रारूप बना बैठे ।
कहीं से कागज़ ,कहीं से ले कलम उधार ……… हम फिर से लिखने बैठे ,
उन्हीं बातों को , उन्ही ख्यालों को ………… जो तुझे कभी तन्हाई में थे कह बैठे ।।
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