This Hindi poem highlights the Love of Two Lovers in which the Beloved defined Her valuable Love for Her Lover that entered in His soul slowly and calmly.
ये नायाब इश्क़ मेरा ……… तेरी रूह में उतर जाता है ,
मैं शब्दों से नापती हूँ ………… ये जिस्म बन लहराता है ।
तू टूटा-टूटा सा मेरे आने की ……… जब भी राह तके ,
तेरे इंतज़ार में तब ……… ये हवा और बहक के चले ।
मेरा मन तब इस हवा के संग चल ……… और मुस्काता है ,
मैं क़दमों से रोकती हूँ ……. ये पंख बन उड़ जाता है ।
ये नायाब इश्क़ मेरा ……… तेरी रूह में उतर जाता है ………….
तूने कसमें खाईं थी तब ……… मेरे साथ खुद को तपाने की ,
मैं उलझनों में उलझ गई तब ……… तेरे साथ मचल जाने की ।
फिर मेरा दिल भी तुझे पाने की तड़प से ……… बहुत ललचाता है ,
मैं कनखियों से ताकती हूँ ……. ये नज़रों से पिघल जाता है ।
ये नायाब इश्क़ मेरा ……… तेरी रूह में उतर जाता है ………….
मेरे आने पर तेरा जिस्म ……… शोला बन के जले ,
मैं सम्भालूँ खुद को जितना भी ……… ये और चाहत करे ।
बिखर-बिखर सा तब मैं जाऊँ ……… जब ये ज़िद पर उतर आता है ,
मैं हौले से सरकाती हूँ ……. ये तूफाँ की तरह बिखर जाता है ।
ये नायाब इश्क़ मेरा ……… तेरी रूह में उतर जाता है ………….
तू भी पागल है थोड़ा ……… जो इस तरह से मुझसे इकरार करे ,
मैं भी पागल हूँ थोड़ी ……… जो तेरी तड़प में आस की एक उम्मीद रखे ।
बहने तब मैं लग जाऊँ ……… जब तू अपने होश खोके मुस्काता है ,
मैं तड़प के भागती हूँ ……. ये क़त्ल करके तब घबराता है ।
ये नायाब इश्क़ मेरा ……… तेरी रूह में उतर जाता है ………….
मैं हर बार तेरी आवारगी से ……… कहीं प्यार करूँ ,
हर अंजाम जान के भी ……… तुझमे रंग भरूँ ।
हर रंग के बिखर जाने पर ……… ये होश में तब आता है ,
मैं हक़ीक़त में लौटती हूँ ……. ये सपना बन कहीं ओझल हो जाता है ।
ये नायाब इश्क़ मेरा ……… तेरी रूह में उतर जाता है ………….
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